मानव तु साथी बन, पथ में अनुरागी बन । असमंजस उलझन में, आकर सहगामी बन। जीवन की रातों में, हर दिन के ख़्वाबों में अविरल जल धारा बन। शशिधर सी छाया बन। दुःख की बरसातो में, खुशियों की राहों में मन की एक आशा बन। हर दिल की भाषा बन। संकोची राहों में, दिल की अरमानों में भू की सुंदरता बन।
अंबर की गरिमा बन। अश्रु की धारा में, सदियों की ज्वाला में एक ऐसी आंधी बन। हर दिल की वाणी बन। मानव तू साथी बन, पथ में अनुरागी बन। असमंजस उलझन में, आकर सहगामी बन।
बहुत सुन्दर कविता ।शब्दों का चयन एवं अभिव्यक्ति दोनों प्रभावी ।
अतिसुन्दर, शुभकामना