यह विषय विशुद्ध रूप से भारत का है, किसी राजनीतिक दल का नहीं.
बात है कोरोना वैक्सीन की.
देश विरोधी तत्व वैक्सीन पर घृणित राजनीति कर रहे हैं.
यह अपेक्षित था कि अपनी वैक्सीन आएगी तो विदेशी शक्तियों के भाडे पर पल रहे समूह अपना आपा खो बैठेंगे.
बहुराष्ट्रीय कंपनी की वैक्सीन पर तो चुप ही थे ना. तो इतना दर्द किस बात का है आप समझे ??
अपने देश में बनी वैक्सीन को विश्व व्यापी पहचान और स्वीकृति कैसे मिल गयी ?
भारत पूरी तरह स्वदेशी वैक्सीन बनाने वाला विश्व में दूसरा देश कैसे बन गया ??
भारत की वैक्सीन का लेवल 3 का ट्रायल संसार में सबसे बड़े सैंपल साइज़ में कैसे हो रहा है ???
यह वैक्सीन 100% स्वदेशी होकर भी किसी भी Side Effect से मुक्त कैसे है जबकि बाकी सभी में घोषित रूप से Side Effects हैं ???
भारतीय वैक्सीन को भला room temperature पर कैसे stable रखा जा सकता है जबकि अमेरिकी व यूरोप वाली वैक्सीन के लिए -70 डिग्री का तापमान चाहिए। हजारों रुपए देने पड़ते वो अलग?……….ये तो export करने की तैयारी हो रही है। अरबों रुपए खर्च करना तो दूर, आमदनी का जरिया बना दिया!!बहुत ना इंसाफी हुई ये तो! कोई एक पीडा हो तो समझ आता!! यहां तो दर्पणों का ढेर लगा दिया, भारतवंशियों ने. ये दर्पण धिक्कार रहे हैं राष्ट्र विरोधियों को. इधर अहमदाबाद वाली एक और पूर्ण स्वदेशी वैक्सीन भी तैयार होने वाली है.
गर्व नहीं तो कुछ के लिए शर्म की बात है !
अब हम बहुराष्ट्रीय कंपनी फाइजर की 5000 रुपए वाली वैक्सीन नहीं खरीदेंगे, यह बड़ा दर्द है. दर्द यह भी है कि भारत में बनी कोविशील्ड और कोवैक्सीन सस्ती कैसे मिल गई. और भारत सरकार निशुल्क कैसे लगा रही है, 135 करोड़ भारतीयों को ???
आपको स्मरण करवा दूं वो विलाप, वो मीम्स और कार्टून, वो बौद्धिक विकलांग बुद्धि जीवियों के बड़े-बड़े आर्टिकल!!याद तो हैं ?
कहते थे कि दुनिया वैक्सीन बना रही है और हम थाली बजा रहे हैं, ताली पीट रहे हैं, दिए जला रहे हैं. कहते थे ना ??
क्या आप विश्वास करेंगे कि भारत बायोटैक/ ICMR द्वारा हैदराबाद में बनी यह वैक्सीन लगभग 150 देश हमसे मांग रहे हैं ??
इससे मिलने वाली विदेशी मुद्रा की कल्पना कर सकते हैं आप???
जो तूफान बिल गेट्स, जार्ज सोरोस जैसे लोगों ने चीन के साथ मिलकर मचाया, उसका प्रतिफल भारत ले उड़ा. भला अपने आकाओं का यह ऐतिहासिक विनाश इनको हजम होगा??
नहीं!!
यह पूरा प्रकल्प इनके निशाने पर है। इसे ध्वस्त करने के लिए एक भी विकल्प शेष नहीं रखेंगे ये लोग, लिख कर रखिएगा.
भारत भी तैयार है.
बस, यही विलाप हो रहा है।
शुरुआत में एक ही उपाय है, अफवाहें फैलाएं, भडकाएं ! कुछ भी अप्रत्याशित नहीं है.
पुनः
कोविशील्ड को ब्रिटेन के आक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनिका ने विकसित किया है। इसका पूरा निर्माण संसार की सबसे बड़ी facility (Adar Poonawala, S/O Cyrus Poonawala, founder of Serum Institute of India) पुणे में भारतीय कम्पनी द्वारा किया गया हैं। लेकिन हैदराबाद में बनीं “कोवैक्सीन” पूर्ण स्वदेशी है.
भारत बायोटेक वाली वैक्सीन के 3rd स्टेज के ट्रायल्स भारत में ही नहीं , 25 देशों में चल रहे हैं, लाखों लोगों में, इस शर्त पर कि वैक्सीन लगवाने वाले संपूर्ण डाटा उपलब्ध कराने में सहयोग करेंगे. सैंपल साइज़ की कल्पना कीजिए.
बात अभी बाकी है.
चीन को जो आघात भारत के वीर सपूतों ने डोकलाम और गलवान में दिया है उससे भी बड़ा तूफान इस वैक्सीन ने खड़ा कर दिया है. वहां करोड़ों वैक्सीन बनी पड़ी है, कोई खरीदार ही नहीं.
यह अपने देश के वैज्ञानिकों पर गर्व करने का विषय है। अवसर भी है। राजनीतिक ईर्ष्या देशोन्नति से अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो सकती है।