*आज का काला इतिहास*
दिल्ली हिंसा
सबसे दुखद जाफराबाद के सांप्रदायिक दंगे रहे, 53 लोगों ने जान गंवाई
देश की राजधानी दिल्ली ने 2020 को ऐसे भयानक रूप में देखा है कि वह कभी इतिहास में ऐसा साल नहीं देखना चाहेगी। दिल्ली दंगों का दंश उसे लंबे समय तक डराता रहेगा। आज भी पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, गोकलपुरी और घोंडा में अलग-अलग समुदाय के लोगों के बीच एक अजीब सी दूरी खिंची महसूस होती है, जो उन्हें अपने पड़ोसियों से उतनी बेतकल्लुफ नहीं होने देती, जितना वे *23 फरवरी 2020* के पहले हुआ करते थे। 24 फरवरी से पूर्वी दिल्ली में फैले दंगों ने 53 लोगों की जान ले ली, तो सैकड़ों लोग घायल हुए थे। कितने परिवारों के रोजी-रोटी का अवसर हमेशा के लिए हाथ से चला गया, कोई बता नहीं सकता।
दिल्ली के दंगे: पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे मुख्य रोड पर सैकड़ों महिलाएं-बच्चे नागरिकता कानून का विरोध करने के लिए धरना दे रहे थे। इससे सामान्य लोगों का आवागमन प्रभावित हो रहा था और लोगों को परेशानी हो रही थी। *23 फरवरी 2020* की शाम भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने अपने कुछ समर्थकों के साथ यहां आकर पुलिस की मौजूदगी में कहा कि अगर पुलिस मुख्य मार्ग से धरना नहीं हटवाती है, तो लोग खुद इसे खाली कराने के लिए कदम उठाएंगे।
*इसी दिन 23 फरवरी शाम को जाफराबाद में एक भीड़ ने धरने पर बैठी महिलाओं-बच्चों पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए।* 24 फरवरी को पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई, लेकिन हिंसा बेकाबू हो गई। जाफराबाद से शुरू हुई हिंसा शीघ्र ही दूसरे इलाकों तक फैल गई और दिल्ली धू-धू होकर जलने लगी। दिल्ली पुलिस की जानकारी के अनुसार, इसमें *53 नागरिकों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हुए।*
लगभग एक हफ्ते तक चलने वाले इन दंगों में मरने वालों में हिंदू और मुसलमान हर समुदाय के लोग शामिल थे। हिंसा में मंदिरों और मस्जिदों पर भी निशाना साधा गया। कई लोग अभी भी लापता बताए जाते हैं। घटना में मरने वालों की लाशें हफ्तों बाद तक पुलिस नालों से बरामद करती रही।
इस हिंसा में दिल्ली पुलिस के जवान हेड कांस्टेबल रतनपाल शहीद हुए। जबकि डीसीपी अमित शर्मा को गंभीर चोटें आईं। आरोप है कि आम आदमी पार्टी के एक पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के घर पर जमा हुई दंगाइयों की भीड़ ने उसी इलाके में रह रहे आईबी कांस्टेबल अंकित शर्मा की 25 फरवरी को निर्मम हत्या कर दी गई। उनका शव हत्या के दो दिन बाद एक नाले से बरामद किया गया था। उनके शव पर सैकड़ों बार चाकू से वार किए गए थे।
ट्रंप की यात्रा के बीच देश में दंगे
24-25 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत की यात्रा पर आए थे। दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा के समय नागरिकता कानून विरोधी बातें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाए जाने के उद्देश्य से इसी समय चुनकर दिल्ली में दंगे आयोजित कराए गए।750 से ज्यादा मामले दर्ज हुए
पुलिस ने इस मामले में 752 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं और चार्जशीट पेश कर दी है। मामले की सुनवाई जारी है और दंगों में शामिल होने के आरोप में सैकड़ों लोग अभी भी जेल में हैं।दिल्ली ने 2020 में साल की शुरुआत शाहीन बाग के आंंदोलन के साथ देखा था। बाद में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों के बीच हिंसा होने की खबरें आईं और पहली बार जेएनयू परिसर में बाहरी लोगों ने धावा बोलकर छात्रों पर हमला किया। दिल्ली के साल का अंत किसान आंदोलन को देखने के साथ हो रहा है। आंदोलन 26 नवंबर से शुरू है और इसके एक महीने बीत चुके हैं। आंदोलन का अंत जल्द होता नहींं दिख रहा है।
*संकलन: महेंद्र रघुवंशी
