असदुद्दीन ओबैसी को देखता हूँ तो 1986 वाला जावेद मियांदाद याद आ जाता है जिसने मैच की आखिरी बाल पर चेतन शर्मा की बाल पर छक्का मार कर मैच जिताया था। मियांदाद बेहद आराम से खेल रहा था। कहीं से लग ही नहीं रहा था कि वो मैच जिताने के लिए खेल रहा है। भारतीय टीम भी सोच रही थी कि कोई हर्ज नहीं खेलने दो इसको हर ओवर 1-2 रन लेकर, क्या उखाड़ लेगा? जैसे जैसे मैच बढ़ा मियांदाद ने गेयर बढ़ाया और अंत मे अंतिम गेंद पर छक्का जड़कर मैच जिता दिया।
असदुद्दीन ओबैसी भी मियांदाद की तरह बेहद धैर्यवान तरीक़े से खेल रहा है। बिहार इलेक्शन में अच्छी खासी सीट हासिल हुई। बंगाल में ममता बानो और बीजेपी इसकी लोकप्रियता से परेशान हैं। गुजरात में उम्मीद से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन इसकी पार्टी ने किया। दिल्ली, यूपी और राजस्थान में बेहद लोकप्रिय है असदुद्दीन ओबैसी। आंध्र प्रदेश, केरल और तेलंगाना तो है ही इसका गढ़।
इसकी सबसे बड़ी बात है ये मुसलमानों के पक्ष में खुलकर बोलता है, कोई लाग लपेट नहीं।
सबका साथ सबका विकास जैसी सोच नहीं।
मुसलमानों से विकास का कोई वादा नहीं और हिन्दू वोटों की लिप्सा नहीं।
इसका सधा हुआ कदम और सोची समझी रणनीति इसे जिन्ना के समकक्ष खड़ा करती है। इसका गज़वा ए हिन्द का एजेंडा कितना क्लीयर है इसका पता इसी से चलता है कि इसने आज तक अपने भाई अकबरुद्दीन ओबैसी के 15 मिनट में हिन्दू साफ वाले बयान पर कभी खेद व्यक्त नहीं किया बल्कि एक जहीन वकील की तरह उसे अभिव्यक्ति की आजादी का नाम दिया।
इसके विपरीत हमारे हिन्दू राजनैतिक नेता, संगठनजिस तरह हिन्दू वोटों पर खुलकर आक्रमकता से नहीं कार्य कर रही है वो भारत के द्रुत गति से मुस्लिम राष्ट्र बनने की संभावना को बढ़ाती है उस पर किसी को नज़र डालने की फुर्सत ही नहीं है। ये लोग पता नहीं क्यों भगवान राम को इमाम ए हिन्द कैसे स्वीकार कर लेते हैं।
हम कोरोना वैक्सीन बनाने में अपना सीना फुलाते हैं। इसरो और आईटी में अपनी उपलब्धि पर इतराते हैं। बैटरी चालित रेल और दोपहिया वाहन पर बेहद खुश होते हैं। ब्रह्मोस के कई देशों से मिलते आर्डर पर फूले नहीं समाते हैं। मेडिकल और सॉफ्टवेयर में हमारा दबदबा है। हमारा दूर दूर तक। कोई मुकाबला नहीं है। अरबों खरबों रुपये के निर्यात के आर्डर हमारे देश को मिल रहे हैं। रेलवे और बस स्टेशनों को फाइव स्टार होटल जैसी बनाने की तमन्ना है। यह विकास तो हमें चाहिए ही किन्तु यह विकास भविष्य में भी सुरक्षित रहे अफगानिस्तान आदि जैसा न बनें इसके अब हिंदुओ को सिर्फ एक ही लक्ष्य इस जिहादी मानसिकता को कुचलने का बनाना होगा। चाहे जो करना हो अन्यथा
यकीन मानिये एक दिन हम हिंदुओं को ये सब छोड़कर भागना पड़ेगा। जिस दिन जिन्ना की तरह असदुद्दीन और अकबरुद्दीन ओबैसी का डायरेक्ट एक्शन डे काल होगा हम सेकुलरिज्म के नशेड़ी हिन्दू हतप्रभ होंगेऔर हमारी मिसाइल हम हिंदुओं पर ही चल जायेगी।
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