शादी मानव जीवन की नैशर्गिक आवश्यकता है, उचित आयु में शादी होना जीवन चक्र के सुचारू संचालन के लिए उपयुक्त होता है.

विवाहयोग्य युवक युवती के अभिभावक ध्यान से पढ़े

एक 25 वर्षीय लड़की के पिताजी को उसके नजदीक के परिजन ने एक योग्य वर के बारे में बात की …….
लड़का शहर में नौकरी करता है, दिखने-सुननेे में अच्छा  है.
अच्छे संस्कार वाला है
लड़के के माँ बाप भी सुव्यवस्थ  हैं.
लड़के की उम्र 28 वर्ष है
सब अनुरुप है
लड़की के पिताजी ने प्रश्न किया वह सब तो ठीक है,पर लड़के को पगार कितनी है?
मध्यस्थ ने बताया पगार अच्छी है 25 हजार रुपये मासिक.
लड़की के पिताजी ने ठंडी सांस लेते हुए कहा शहर में 25 हजार से क्या होता है.
मध्यस्थ ने कहा  एक लड़का और है, देखने-सुनने में सुंदर है, पगार भी अच्छा है, साठ हजार मासिक
सिर्फ उसकी आयु थोड़ी ज्यादा है,वह 33 वर्ष का है.
लड़की का पिताजी ने कहा साठ हजार ?
इतना में शहरमें 1BHK फ्लैट भी क्या वह खरीद सकता ?
यदि नहीं तब मेरी बेटी को कैसे खुश रख पायेगा वो.
मध्यस्थ ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा एक और  है. लड़का दिखने मे ठीक-ठाक है.
सिर्फ थोड़ा मोटा है.थोडे से बाल झड़ गए है. आय भी अच्छा १ लाख है, पर आयु 34 वर्ष है.
देखो अगर आपको जँचता होगा तो.
लड़की के पिताजी ने कहा लड़का-लड़की की आयु में बहुत अंतर है 1 लाख पगार होने से क्या ?

अपनी कन्या के लिये तो सुन्दर ही लड़का देखूंगा.

कोई और भी कोई अच्छा बताइये जी लड़का कम उम्र का हो. पर अच्छी पगार कमाता हो. घर भी अच्छा होना चाहिए और देखने-सुनने में भी स्मार्ट हो.
ऐसे ही बातो में 5-6 वर्ष निकल गए फिर उन्होंने मध्यस्थ को बुलाकर बात किया….
मध्यस्थ ने कहा अब आपकी लड़की हेतु योग्य वर देखना मेरे बस की बात नही. अब मेरे पास आपकी लड़की के अनुरूप 38/40 साल वाले लड़को के ही रिश्ते है, आप बोलो तो बताऊ.
लड़की का पिता कोई भी अच्छा सा घर-परिवार बताइये इस उम्र में कही हो जाये ये क्या कम बात है लड़की की उम्र भी तो 31-32 हो रही है.
अब मेरी लड़की ही अनुरूप नहीं रही तो मैं ज्यादा क्या अपेक्षा रखूँ.

घर के बड़े बुर्जुगों से आग्रह है:

लड़की और लड़को की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करके उन्हें बर्बाद मत कीजिए. लड़की का अपना घर उसका ससुराल ही होने वाला होता है तो जरा समय से सही आयु में भेज के उसे अपने सपनों के घर को सजाने-संवारने अवसर दीजिये.

आप अपने आस पास देखेंगे तो पायेंगे की बहुत से लोग शादी के बाद धनवान बने हैं …….

क्योंकि बहुत बार भाग्य शादी के बाद उदय होता है तो बहुत बार शादी के बाद व्यक्ति का सब कुछ चला जाता है.

इसलिए पैसे को आधार नहीं बनायें.

शुरू में आय कम है तो भी शादी के बाद लड़के लड़कियों में नयी उमंग आती है.

उनका जीवन सुचारू रूप से व्यतीत होने के लिए दोनों मिल जुलकर मेहनत एवं विचार करके आर्थिक एवं सांसारिक अड़चनों को मात करते है.
उनके अभिभावक भी साथ सपोर्ट करते है

लड़के लड़कियों को तकलीफ सहन करने के लिये कोई माँ-बाप यूं ही छोड़ते है ऐसा भी नहीं है.

इसका ध्यान लड़कियों के माता पिता को होना चाहिए

लड़का लड़की समान चलने वाले युग मे आप भी थोड़ा लड़की एवं लड़के के पीछे खड़े रहिये..

लड़के-लड़कियों की शादी,योग्य उम्र में होने दीजिए,
उनकी भी भावनाओं एवं इच्छाओं का ध्यान रखिए.

उम्र भर पैसा तो आता जाता रहेगा पर तारुण्य और उम्र वापस नहीं आएगी…….

आपकी सोच पूरे समाज के कुटुंब व्यवस्था को बचा सकती है.
जो कि भविष्य मे खतरे में पड़ने की संभावना अभी दिख रही है.
देखिये सोंंच कर…

पहले 20 साल की उम्र में एक विवाहित स्त्री- पुरुष परिवार चलाना स्टार्ट कर दिए थे।

अब उनके ही बच्चे 35-40 साल में कुंवारे हैं बैठे हैं घर पर है।

और आज भी अपनी बेटी का जीवन बर्बाद कर सीना ताने अपनी बेटी के लिए सरकारी दामाद की तलाश कर रहे हैं.

आज 60-65 साल का ही मनुष्य का जीवन हो गया है, भविष्य में तो और भी कम हो जाएगा जीवन…….

अगर वे 38-40 साल की उम्र में शादी कर अपने आने वाले बच्चों की शादी करने तक भी जीवन रहना असंभव हो जाएगा नाती- पोता तो बहुत दूर की बात है.

समय रहते सोच बदले और अपने बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए प्रयास करें……

सीमा चौधरी
🙏

One thought on “लड़का-लड़की की शादी में साधक बनिए बाधक नहीं: सीमा चौधरी”

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