balance, meditation, yoga

तुमरी शरण तुम्हारी आस
तुमरे बिन न कोई साथ ।

हे माधव गिरधर गोपाल

पल पल की तुम राखो पाल ।

ह्रदय बसो ह्रदय के स्वामी
घट घट के प्रभ अंतरयामी ।

श्वास श्वास सिमरूं तेरो नाम
राखो शरण मेरे घन श्याम ।

तुमरे बिन कोई ओर न छोर
तुम मेघा हम तुमरे मोर


————————राजीव जायसवाल, CA DELHI

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