गुणों का महत्व – एक सुखी एवं सफल जीवन के लिए जरूरी
गुणों का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व होता है। गुणों से न केवल हमारा शारीरिक विकास होता है बल्कि, मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास भी होता है। एक गुणी व्यक्ति के कार्यों से देश और दुनिया को भी लाभ पहुँचता है। गुण व्यक्ति की ऐसी विशेषता होती है जो उसे जीवन की कठिनाइयों का सामना करने में भी सहायक सिद्ध होती है। यह व्यक्ति को केवल सफल ही नहीं बनाती है बल्कि सफलता के शिखर पर बने रहने में भी मदद करती है।
बिना साधनों के कठिन से कठिन लक्ष्य की प्राप्ति गुणों के आधार पर की जा सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर स्वामी रामदेव तक ऐसे कई व्यक्तियों के उदहारण हैं जिन्होंने साधनों के अभाव में भी अपने गुणों के बल पर सफलता को प्राप्त किया है।
सुखी रहने में भी गुणों का बहुत अधिक योगदान है। जब हम किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए अपने गुणों का सहारा लेते हैं तब बुरे कर्मों से बचते हैं क्योंकि हमारे गुण हमें ऐसा करने से रोकते हैं। अगर हमारे कर्म बुरे नहीं है तभी हम सफल हो कर भी खुश रह सकते हैं।
वर्ना इस दुनिया में ऐसे भी लोगों की कमी नहीं है जो सफल भी हैं और धनवान भी मगर खुश नहीं हैं। आइये इस लेख में हम जानते हैं मनुष्य के ऐसे ही कुछ ऐसे गुणों और उनके महत्व के बारे में और किस प्रकार यह गुण सहायक सिद्ध हो सकते हैं एक सफल एवं सुखी जीवन की प्राप्ति में।
परिश्रमपरिश्रम या मेहनत व्यक्ति का एक ऐसा गुण है जिसके बिना सफलता प्राप्त करना बहुत ही मुश्किल होता है। यदि व्यक्ति में और कोई विशेष गुण ना हो फिर भी अगर वो मेहनती हो तो वह एक ना एक दिन सफलता को अवश्य प्राप्त कर लेता है।
फिर चाहे वह परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए याद करने की दिमागी श्रम हो, या फिर दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम आने के लिए उसका अभ्यास करने की शारीरिक मेहनत, सफलता प्राप्त की जा सकती है। परिश्रम का गुण होने से साधारण से साधारण व्यक्ति भी किसी भी क्षेत्र में सफलता को प्राप्त कर सकता है। मेहनती व्यक्ति जो है वह सफलता के लिए गलत मार्ग नहीं अपनाता है क्योंकि वह मेहनत करके ही सफलता प्राप्त करना चाहता है।
मेहनत से प्राप्त हुई वस्तु या सफलता का मनुष्य को अधिक महत्व होता है। यदि श्रम से प्राप्त हुई वस्तु है तो व्यक्ति उसे संभाल कर रखता है और बर्बाद होने से बचाता है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई व्यक्ति मेहनत से पैसे कमाता है तब वह उसे बेकार की चीज़ों पर खर्च नहीं करता। अगर मेहनत से सफलता प्राप्त हुई है तो व्यक्ति को संतोष होता है और वो अकारण ही ज्यादा सफलता प्राप्त करने के लिए आतुर नहीं होता है और प्रकृति और इसके संसाधनों की बर्बादी नहीं करता है।
बुद्धिमत्ताआप सबने वह कहानी तो जरूर सुनी ही होगी जिसमे पिता ने अपने दोनों बेटों से कुछ रूपए दे कर उन्हें कमरे को सामान से भरने के लिया कहा जिसमे की एक भाई ने कुछ सामान से कमरे को भरने की नाकाम कोशिश की जबकि दूसरे ने दीपक के प्रकाश से कमरे को भर दिया। बुद्धिमान व्यक्ति की यही विशेषता होती है की वे पहले परिस्थितियों को भांपते हैं फिर कुछ ऐसा हल निकाल जाते हैं जो सबके अनुकूल होता है। ऐसे गुण वाले व्यक्ति मुश्किल से मुश्किल समस्याओं का भी समाधान खोज निकालते हैं।
तेनालीराम और बीरबल जैसे लोग अपनी बुद्धिमत्ता के गुण के कारण ही जटिल से जटिल परिस्थितियों में भी बड़ी आसानी से अपना मार्ग बना लेते थे। बुद्धिमान व्यक्ति बड़े ही दूरदर्शी होते हैं। उन्हें चीज़ों की बड़ी गहरी समझ होती है। साथ ही ऐसे व्यक्ति किसी भी काम को करने का आसान तरीका खोज निकालते हैं।
बुद्धिमान व्यक्तियों के ऐसे तरीके जो कम संसाधनों का उपयोग करके ज्यादा और बेहतर फल देते हैं वे सबकी भलाई के काम आते हैं। बुद्धिमत्ता का यह गुण हमे बुरे काम करने से रोकता है क्योंकि एक ऐसे व्यक्ति को यह पता होता की आज वह कुछ गड़बड़ करेगा तो कल इसका प्रभाव उस पर भी पड़ेगा। अगर वह प्रकृति बर्बाद करेगा तो उसके भी रहने खाने पीने की समस्या होगी ही। अगर वह भ्रष्टाचार करेगा तो कल यह भ्रस्टाचार उसे भी निगल जाएगा। इस प्रकार बुद्धिमत्ता का गुण व्यक्ति को भी बुरे कामों से बचाता है और देश और दुनिया के हित में भी होता है। संयमसंयम मनुष्य का एक ऐसा गुण है जो की आज कल लोगों में कम ही देखने को मिलता है।संयम से ही जीवन में शांति और संतोष का अनुभव होता है। बड़े और कठिन कार्यों में सफलता बिना संयम के प्राप्त नहीं की जा सकती।
हमारी आज की पीढ़ी कहीं ना कहीं संयम खोती जा रही है। हमे हर चीज़ जल्दी चाहिए होती है। पर इसका दुष्परिणाम यह होता है की हम लक्ष्य प्राप्त ही नहीं कर पाते और साथ ही चिड़चिड़े स्वभाव के भी होते जा रहे हैं। बिना संयम के हम कई समस्याओं का समाधान भी नहीं ढूंढ पाते है। बल्कि व्याकुल होने से नई नई समस्याएं हम खुद खड़ी कर लेते हैं।
आज के आधुनिक युग में हमे मशीनों की वजह से जल्दी की गलत आदत लगती जा रही है। खाना कपडा या अन्य कोई भी वस्तु हमें तुरंत चाहिए होती है। जबकि हम यह भूल जाते हैं की कोई भी चीज़ तैयार होने में समय लेती है। बीज एक दिन में पेड़ नहीं बन जाता।
जैसे की यदि कोई व्यक्ति आपसे आकर कहता है की उसके पास एक ऐसी स्कीम है जो कुछ ही दिनों में आपके पैसे दोगुनी कर देगी तो आप उस पर भरोसा नहीं कर सकते क्योंकि आप भी जानते हैं की पैसे बढ़ाने के लिए समय लगता है, संयम की आवश्यकता है। अगर सीधे शब्दों में कहें तो तुरंत कुछ नहीं होता है। संयम का गुण हमें पतन की ओर जाने से बचाता है जिसके पश्चात ही हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
सादगीयह हमारे जीवन की सबसे अमूल्य धरोहर है। सादगी हमें बिना आडम्बरों के चकाचौंध में पड़कर सरल तरीके से जीवन जीने की कला सिखाता है। पर आज के दौर में हम सादगी से दूर होते जा रहे हैं। चाहे बात कपड़ों की हो, खाने की हो या रहन सहन साज सज़्ज़ा की, हर जगह आडम्बर भरते जा रहा है। इसका एक बड़ा नुकसान यह होता है की हमारे पैसे हमारे पास नहीं बचते। हम उन्हें बेकार की चीज़ों पर खर्च कर देते हैं।
यही आदत हमारे बच्चों में लग जाती है फिर वे दूसरे बच्चों की देखा देखी महंगे खिलौनों से खेलना चाहते हैं। मगर ऐसे में बच्चे खेल कूद के असल उद्देश्य से दूर हो जाते हैं जिनमे से की दूसरे बच्चों के साथ खेलना प्रमुख है। खुद ही सोचिये, क्या जब आप अपने बच्चे को एक महंगा खिलौना ले कर देते हैं तब यह डर नहीं सताता की दूसरे बच्चे उसका खिलौना कहीं तोड़ ना दें।
फिर जब यही बच्चे बड़े होते हैं तो ऐसी चीज़ों पर खर्च कर देते हैं जिसकी बहुत आवश्यकता नहीं होती है। हम ऐसी चीज़ों पर बहुत खर्च करने लगते हैं जिसके बिना भी चला जा सकता है। मेरे जैसे आज की पीढ़ी के कई लोग तो कमाते भी इसीलिए हैं की ऐसी चीज़ों पर खर्च कर सकें। वे यह सोचते भी नहीं की अगर यह पैसे बचाएंगे तो मुश्किल समय में काम आएंगे।
जिन लोगों में सादगी का गुण होता है उन्हें यह सब बताने की जरूरत नहीं होती। वे स्वाभाविक रूप से ऐसी चीज़ों के प्रति आकर्षित नहीं होते। सादगी का गुण रखने वाले लोग काम वस्तुओं के उपभोग में अपना काम चलाते हैं। वह केवल अपनी जरूरत भर लेते हैं। यह लोग अपने इसी स्वभाव के कारण प्रकृति के लिए लाभदायक साबित होते हैं।
आज्ञाकारितामनुष्य का एक बहुत ही बड़ा गुण है। आज लोगों में से यह महत्वपूर्ण गुण गायब होता जा रहा है। आज हम सब मनमानी करना चाहते हैं। बच्चे एवम किशोर भी माँ बाप की आज्ञा का पालन नहीं करना चाहते हैं। किन्तु जीवन में सफल होने के लिए एवम किसी भी कार्य की पूर्ति के लिए आज्ञाकारिता का गुण चाहिए होता है।
जरा सोचिये क्या हनुमान जी में आज्ञाकारिता का गुण नहीं है क्या? तभी ना वे अपने पूज्य प्रभु श्री राम की हर आज्ञा का पालन इतनी निष्ठा से कर पाते थे। अगर अर्जुन में आज्ञाकारिता का गुण नहीं होता तो क्या वो महाभारत का युद्ध जीत सकता था? चाहे बात अपनी परिवार के बड़ों की आज्ञा पालन की हो या फिर कार्य स्थल पर बॉस की , यदि आज्ञाकारिता का गुण ना हो तो आदेश एक बोझ की तरह लगने लगता है और अंदर ही अंदर एक विरोध जन्म ले लेता है।
फिर व्यक्ति का काम में मन नहीं लगता है। किन्तु एक आज्ञाकारी व्यक्ति इन सब बातों से विचलित नहीं होता है और सदा ही कामयाबी के मार्ग पर अग्रसर होता है।
निष्कर्ष इस प्रकार हम देखते हैं की किस प्रकार गुण हमारी खुद की एवम आस पास के लोगों के लिए लाभदायक होते हैं। हर व्यक्ति में हर गुण तो नहीं हो सकता है पर कुछ ना कुछ गुण तो हर व्यक्ति में होता है। जरूरत इस बात की है की जो भी गुण हमारे अंदर है हम उस पर ध्यान दें। दुःख की बात यह है की हमारी शिक्षा व्यवस्था में बच्चों के गुणों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। हमारे खुद के या हमारे बच्चों के अंदर गुणों का विकास करना बहुत जरूरी है। फिर अलग अलग गुणों वाले लोग एक साथ मिलकर सभी तरह के कार्य कर सकते हैं। मगर यह तभी संभव है जब हम हमारे और अपने बच्चों के व्यक्तिगत गुणों के विकास पर ध्यान दें।
सीमा प्रियदर्शनी