विपक्ष क्यो जला रही सरकारी संपत्ति,करे कोर्ट में अपील हो अगर कोई आपत्ति,किसान का फायदा देखने की नही है चाहत, तो मिट जाएगी विपक्ष की संतति_*
केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा लाए गए कृषि बिल (Farm Bill) के खिलाफ किसानों का प्रायोजित विरोध प्रदर्शन जारी है. कृषि बिल के खिलाफ पंजाब में किसान समिति ने 3 दिवसीय रेल रोको अभियान की शुरुआत कर दी है. इस दौरान पंजाब आने-जाने वाली सभी ट्रेनों को रोक दिया गया है.
यदि किसानों के लागत मूल्यों के कानून का बिल किसान विरोधी है तो विपक्ष सुप्रीम कोर्ट में अपील क्यों नहीं कर रहा है
माइक तोड़ने, बिल फाड़ने, झुंठा विरोध करने से किसानों के लागत मूल्य मिल जाएंगे? कभी नहीं ? यदि सरकार गलत कर रही है तो विपक्ष याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं जाता है क्या विपक्ष के पास बकीलों की कमी है ? जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो ? किसानों को उनके हक और लागत मूल्यों का सच्चा न्याय मिले । कुछ तो दाल में काला है या पूरी दाल ही काली है यदि विपक्ष किसानों को वास्तविकता में लागत मूल्य दिलाना चाहता है तो विपक्ष को एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा देनी चाहिए थी जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाने का सच सामने आएगा ? सुप्रीम कोर्ट न्याय देने के लिए बनाया है विस्तार से व्याख्या करेगा, किसानों का भ्रम दूर हो जाएगा कोन सही है कोंन गलत है माइक तोड़ने, सड़क और संसद में झुंठ बोलने से किसानों को मूल्य नहीं मिलने वाले हैं देश में हर वस्तु मंहगी है लेकिन पार्टियों और सरकारों को विपक्ष में बैठने के बाद किसानों की फसलों के मूल्य मंहगे खासकर आलू, प्याज और टमाटर मंहगे दिखाई देते हैं शराब और ड्रग्स बहुत मंहगे होते जा रहे है गरीब और अमीर दोनों बिना सरकारी सहायता के पी रहे हैं केबल किसानों के आटा और दाल मंहगे दिखाई देते हैं विपक्ष और सरकारों ने ड्रग्स और शराब को कभी मुद्दा नहीं बनाया क्योंकि उनसे मोटा कमीसन और वोट बैंक मिलता है जबकि विपक्ष और सरकार मंडियों के कमीसन खोरो को इधर उधर करके नूरा कुस्ती करते दिखाई देते हैं लेकिन किसानों को फसल पर लागत मूल्य देने से परहेज़ करते हैं पहले किसानों की फसलों को विपक्ष और सरकार को सड़कों पर फिकबाना छोड़कर मिलकर गावों, शहरों, मंडियों देश या विदेश में बिकबाना चाहिए फिर राजनीति करनी चाहिए ?
यदि किसानों के लिए कानून गलत है और सरकार विपक्ष की नहीं सुन रही है तो विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए, एनआरसी के विरोध के समय विपक्ष सुप्रीम कोर्ट गया, और भी अनेक उदाहरण हैं एक बार किसानों के हक के लिए भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर देखो, जिससे किसानों को पता चले किसानों की सच्ची लड़ाई कोन लड़ रहा है ? किसानों को बेवकूफ बनाते बनाते ७० साल गुजार दिए लेकिन उनका हक देने में और दिलाने में सभी बोट बैंक खोजते हैं और धोखा देते हैं किसानों के लागत मूल्यों में अभी तक कोई भी पार्टी या नेता दूध का धुला हुआ नहीं निकला है जिसे किसान नेता चौधरी चरण सिंह और सर छोटूराम कहा जा सके !!! मोदी ने कुछ तो किया है पूरा नहीं तो आधा ? *अभी तक किसानों को लागत मूल्यों में किसानों को सिर्फ धोखा मिला है उनका वास्तविक हक नहीं ।।
Farm Bill 2020: फसल बुवाई के समय मिलेगी उपज के दाम की गारंटी, कॉन्ट्रेक्ट तोड़ने पर भी नहीं होगी कोई कार्रवाई
कृषि के 3 बिलों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने कहा है कि इन बिल को लेकर राजनीति की जा रही है. विपक्षी दल कृषि बिल को लेकर किसानों को आधारहीन बातों पर गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि कृषि बिल आने से न कृषि उपज मंडियां (APMC) खत्म होने वाली हैं और न ही इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था समाप्त होगी.
मौजूदा व्यवस्था में किसान को अपनी फसल मंडी में बेचने के लिए वाध्य होना पड़ता था. इसके साथ ही मंडी में बैठे कुछ 25 से 30 आढ़तिया बोली लगाते थे और किसान की उपज के दाम तय करते थे. इसके अलावा किसानों के लिए कोई दूसरी व्यवस्था नहीं थी, इसलिए किसान को मजबूर होकर मंडी में उपज बेचनी पड़ती थी. मगर अब किसान मंडी के बाहर भी अपनी उपज बेच सकता हैं. इसके साथ ही किसानों को उनकी उपज का भाव भी मर्जी हिसाब से मिलेगा. इतना ही नहीं, कृषि मंत्री ने MSP को लेकर कहा है कि कभी भी MSP किसी कानून का हिस्सा नहीं रहा है. यह पहले भी प्रशासनिक फैसला होता था और आज भी प्रशासनिक फैसला है.
फसल के दाम की गारंटी
कृषि बिल से किसान को उनकी फसल के दाम की गारंटी बुवाई के समय मिल जाएगी. इसके लिए किसान और के बीच कॉन्ट्रेक्ट होगा, जिसमें केवल कृषि उत्पाद की खरीद फरोख्त होगी. बता दें कि इसमें जमीन से खरीदार का कोई लेना-देना नहीं होता है. अगर किसान कांट्रेक्ट तोड़ते हैं, तो उन पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी. खास बात है कि खरीदार कॉन्ट्रेक्ट नहीं तोड़ सकता है.
APMC
पहले की तरह ही कृषि उपज मंडियां काम करती रहेंगी, क्योंकि वे राज्य सरकार के अधीन होती हैं. सरकार ने केवल किसान की कृषि उपज मंडियों में अपनी उपज बेचने की वाध्यता खत्म की है. किसान चाहे, तो अपनी उपज कृषि उपज मंडियों में बेच सकते हैं. अगर उनको उपज का दाम बाहर अच्छा मिल रहा है, तो वह उपज बाहर बेच सकते हैं. बता दें कि किसानों को उपज मंडियों में बेचने पर टैक्स भी देना पड़ता था, लेकिन उपज बाहर बेचने पर किसी भी तरह की टैक्स नहीं देना होगा.
अशोक चौधरी "प्रियदर्शी"
Ashok Kumar Choudhary is a retired banker who has wide experience in handling rural banking, agriculture and rural credit. He is also a Trade Unionist and has held a leadership position in Bharatiya Mazdoor Sangh, trade wing of RSS and formaly he has been the chairman of Regional Advisory Committe, DT National Board of Workers Education. He in past he hold the post of Joint State President of National Human Rights Organization.