साइनस का आयुर्वेदिक इलाज, इसके 9 लक्षण और कारण –
साइनस क्या है ?
साइनस जिसे मेडिकल जगत में ‘ साइनोसाइटिस ‘ भी कहा जाता है । आज के समय में पूरी दुनिया में बहुत ही बड़ी आबादी साइनस की समस्या से ग्रस्त है । साइनस में नाक से पानी आना, नाक बंद होना, सर में दर्द होना, गले में दर्द होना आदि जैसी समस्याएं होती है । आज हम जानेंगे साइनस का आयुर्वेदिक इलाज, इसके 9 लक्षण और कारण |
यदि इस समस्या को लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाए तो यह आगे चलकर काफी विकराल भी हो जाता है पर एक बात ध्यान में रखने वाली बात यह भी है कि हर सर्दी जुकाम साइनस नहीं होता । आज Namastebharat के इस लेख में हम जानेंगे साइनस से संबंधित वह हर जानकारी जो आपको जरूर पता होनी चाहिए तो आइए जानते हैं कि साइनस के लक्षण क्या-क्या होते हैं ।
साइनस के लक्षण:
1) नाक से पानी – साइनस में एलर्जी होने के कारण या साइनस में सूजन आ जाने के कारण साइनस के अंदर अधिक मात्रा में तरल इकट्ठा होने लगता है जो धीरे-धीरे नाक के जरिए बाहर आने लगता है । इस अवस्था में लगातार काफी समय तक नाक से पानी आना और जुखाम जैसे लक्षण होते हैं । यह साइनस होने का सबसे अहम लक्षणों में से एक माना जाता है ।
2) नाक बंद – कई बार साइनस में सूजन होने के कारण नाक बंद भी हो जाती है हालांकि दोनों नाक में एक नाक चालू रहती है । इस अवस्था में सांस लेने में काफी दिक्कतें आती हैं और लाख कोशिशों के बाद भी नाक बंद ही रहता है इसे भी साइनस होने का एक बड़ा लक्षण माना जाता है ( साइनस के लक्षण ) ।
3) आवाज़ में बदलाव – साइनस से निकला तरल पदार्थ नाक के जरिए कई बार गले में भी लगातार जाने के कारण गला या तो बैठ जाता है या तो गले में इन्फेक्शन जैसी समस्याएं पैदा होने लगती हैं । इंफेक्शन के कारण आवाज भी कभी कबार बदल जाती है यह भी साइनस का एक लक्षण माना जाता है ।
4) खांसी – साइनस में इंफेक्शन या सूजन के कारण जब तरल लगातार नाक से बहता रहता है और गले में भी आ जाता है तो इस तरल पदार्थ के कारण गले में भी इंफेक्शन हो जाता है जिसके कारण आवाज तो बदलती ही है साथ ही खांसी भी शुरू हो जाती है और यदि इसे सही समय पर कंट्रोल ना किया जाए तो यह खांसी और भी विकराल रूप ले लेती है।
5) सूंघने की क्षमता में बदलाव – साइनस की समस्या जब भी होती है तो इसका असर नाक पर पड़ता है ( साइनस के लक्षण ) । नाक की झिल्ली तरल पदार्थों से बंद हो जाती है जिसके कारण सूंघने की क्षमता कम होने लगती है । यानी कि आपके सामने यदि कोई चीज जल रही होगी या कोई स्वादिष्ट भोजन भी पक रहा होगा तब भी आपको उसकी सुगंध बहुत कम ही आएगी ।
6) सिरदर्द – सिर दर्द कई बार स्ट्रेस या थकान के कारण होती है पर जब आपका सिर दर्द लंबे समय तक रहने लगे और बार-बार होने लगे तो यह साइनस का एक बहुत ही बड़ा लक्षण माना जाता है । इस अवस्था में आपको किसी अच्छे चिकित्सक से अवश्य मिलना चाहिए और अपनी इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए ।
7) आंखों के ऊपर दर्द – आंखों के ऊपर दर्द होना और आंखें भारी लगना या सर भारी लगना यह भी साइनस का एक लक्षण होता है ( साइनस के लक्षण ) । कई बार इस वजह से आंखों से भी पानी गिरने लगता है जिसके कारण आंखों में लाली, सर में भारीपन जैसी समस्याएं आती है ।
8) बुखार – साइनस के कारण कई बार शरीर का टेंपरेचर बढ़ जाता है जिसके कारण दिमाग का भी टेंपरेचर बढ़ने लगता है और इस स्थिति में बुखार जैसी परिस्थिति भी पैदा हो जाती है यह भी साइनस का एक लक्षण है।
9) थकान – थकान ज्यादा काम करने, ज्यादा स्ट्रेस लेने या कम नींद लेने की वजह से भी हो सकता है पर कई बार अगर आपको सर्दी-जुकाम की वजह से थकान होने लगे और आपको कुछ भी करने का मन ना करें तो यह भी साइनस का एक लक्षण माना जा सकता है ( साइनस के लक्षण ) ।
साइनस के कारण –
1) प्रदूषण – आज के समय में दुनिया के टॉप सबसे प्रदूषित शहरों में से भारत के सबसे ज्यादा शहर इस लिस्ट में शामिल है । आपको बता दें कि दिल्ली में प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि आप बिना मास्क के बाहर निकल नहीं जा सकते ( साइनस के कारण ) । अगर आप ज्यादा लंबे समय तक बाहर सांस लेते हैं तो आप भी प्रदूषण के शिकार हो सकते हैं पर आपको साइनस या फेफड़े से संबंधित बीमारियां बहुत जल्दी जकड़ सकती है ।
2) एलर्जी – कई बार हमारे शरीर को धूल मिट्टी पुष्पकण या परागकण या किसी अन्य खाद्य पदार्थ से एलर्जी होती है जिसके कारण सर्दी-जुखाम आ जाती है । यह सर्दी जुखाम ज्यादा लंबे समय तक रहने के कारण साइनस का भी रूप ले ले सकती है इसलिए एलर्जी को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए ।
3) नाक की हड्डी बढ़ना – ज्यादातर साइनस के मामलों में यह देखा गया है कि नाक की हड्डी बढ़ जाने के कारण भी साइनस के अंदर समस्या शुरू हो जाती है । कई बार जब नाक की हड्डी बढ़ जाती है तो ऑक्सीजन की कार्यशैली में बाधा आती है जिसके कारण भी साइनस जैसी समस्याएं पैदा हो जाती है ( साइनस के कारण ) ।
4) अस्थमा – अस्थमा एक बहुत ही खतरनाक और बड़ी बीमारी है जिसका इलाज बहुत लंबा चलता है । आपको जानकर शायद आश्चर्य होगा कि प्रियंका चोपड़ा को भी अस्थमा की बीमारी है । इतने पैसे होने के बाद भी प्रियंका अब तक इसे जड़ से खत्म नहीं कर पाई और आज भी उन्हें ब्रोंको डाइलेटर्स का इस्तेमाल करना पड़ता है जिससे पता चलता है मेडिकल साइंस के पास इसका परमानेंट इलाज नहीं है । यदि आप अस्थमा को नजरअंदाज करेंगे तो इसका असर आपके साइनस पर भी हो सकता है और अस्थमा के कारण साइनस हो जाता है ऐसा कई मामलों में देखा जा चुका है।
साइनस का आयुर्वेदिक इलाज
भाँप लेना

भाप लेना साइनस के घरेलू इलाज का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है ( साइनस रोग का इलाज ) । यदि आप नियमित रूप से गर्म भाँप लेते हैं तो आप धीरे-धीरे करके ही सही पर साइनस जैसी बड़ी बीमारी को भी ठीक कर सकते हैं पर इस घरेलू इलाज को करते वक्त आपको काफी संयम रखना होगा क्योंकि यह एक लंबा प्रोसेस है और इसका इस्तेमाल करके साइनस में आराम तुरंत मिल जाता है पर इसे जड़ से खत्म करने के लिए आपको इसका इस्तेमाल लंबे समय तक करना पड़ेगा तो आइए जानते हैं इसका इस्तेमाल कैसे करें ।
कैसे करें इस्तेमाल
सबसे पहले एक बर्तन में गर्म पानी कर ले, अब उसमें पिपरमिंट मिलाएं और एक तौलिए की मदद से अपने आप को ढक लें और उस गर्म भाँप को अपने नाक से सूंघे, ऐसा नियमित रूप से रोज करें आपको धीरे-धीरे आराम मिलने लग जाएगा । यदि आप लंबे समय तक इस विधि का पालन करते हैं तो आपकी साइनस की समस्या भी धीरे-धीरे जड़ से खत्म हो जाएगी और आपको कोई भी दवा लेने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी हालांकि शुरुआत में जब आप इस विधि का पालन करें तब जो भी दवा आपको डॉक्टर से मिली हो उसका सेवन करते रहें ।
हल्दी वाला दूध
हल्दी वाला दूध जो पूरे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है । एक रिसर्च में यह बात सामने आई थी कि यदि रोज दूध में हल्दी मिलाकर पिया जाए तो यह कैंसर जैसी बड़ी बीमारी से भी आपको बचा कर रख सकता है । अमेरिका में एक रिसर्च में क्या पता चला कि हल्दी में करक्यूमिन नाम का एक तत्व होता है जो अल्जाइमर जैसी बीमारी को भी दूर रखता है पर यदि आपको साइनस की समस्या है तो उसमें भी हल्दी वाला दूध आपके बड़े काम आ सकता है|
500 ग्राम देसी गाय का दूध ले और उसे अच्छी तरह उबाल दें और तब तक उबालें जब तक वह आधा किलो दूध 250 ग्राम ना हो जाए अब उसमें एक चुटकी केसर मिलाएं और 1/2 चम्मच हल्दी पाउडर मिला दें । अब रात में सोने से पहले इस दूध को पी ले और नियमित रूप से रोज पीते रहे । आप देखेंगे कि इस दूध का सेवन करने से आपके साइनस की समस्या धीरे-धीरे कम होने लगेगी और लंबे समय तक इस उपाय को करने से आपके साइनस की समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी हालांकि आप जो भी दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें जारी रखें ।
लहसुन
लहसुन एक बहुत ही अच्छा एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल तत्व माना जाता है जो आपके खून की भी सफाई करता है । साथ ही आपकी प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है । यदि आप लहसुन का सेवन करते हैं तो यह आपके एलर्जी एवं आपके साइनस की समस्या को कम करने में और ठीक करने में आपकी मदद कर सकता है ।
विज्ञान भी मान चुका है कि जो बीमारियां अंग्रेजी दवाओं से ठीक नहीं की जा सकती उन्हें ठीक करने की क्षमता योग में है । हजारों साल पहले भारत के ऋषि मुनियों ने जिस आयुर्वेद की रचना की थी उसमें दुनिया के हर बीमारी का इलाज लिखा है । आयुर्वेद भी कहता है कि आयुर्वेदिक इलाज धीरे काम करता है और यदि आपने संयम रखा तो आयुर्वेद आपकी बीमारी और समस्या को जड़ से खत्म कर देगा जो दोबारा कभी नहीं आएगी ( साइनस का आयुर्वेदिक इलाज ) तो आइए जानते हैं कि कौन से योग साइनस को ठीक करने में सहायता कर सकते हैं ।
अनुलोम-विलोम
अनुलोम विलोम के बारे में आपने बहुत सुना होगा कि इसके कई सारे फायदे हैं । दिमाग से लेकर पूरे शरीर को अनुलोम विलोम का फायदा होता है । यदि आप इसे सही समय और सही तरीके से करते हैं साथ ही यदि अनुलोम-विलोम आप नियमित रूप से लंबे समय तक करेंगे तो यह आपकी साइनस की बीमारी को भी जड़ से खत्म कर देगा.
भस्त्रिका
भस्त्रिका स्वास्थ्य से संबंधित बीमारियों को दूर करने के लिए बहुत ही कारगर माना जाता है ( साइनस रोग का इलाज ) । यदि आपको अस्थमा या सांस लेने की तकलीफ, नाक बंद, साइनस जैसी बड़ी समस्याएं हैं तो आपको भस्त्रिका करके जरुर देखना चाहिए । लंबे समय में इसके बहुत ज़्यादा शारीरिक फायदे आपको मिलेंगे ।
कपालभाति
कपालभाति का फायदा तो पूरी दुनिया जानती है कि कपालभाति कितना फायदेमंद है और इसे करने वाला व्यक्ति लगभग 100 से भी ज्यादा बीमारियों से दूर रहता है ( साइनस का आयुर्वेदिक इलाज ) । कपालभाति करने से स्वास्थ्य संबंधित बीमारियां तो होती ही नहीं साथ ही दिमाग भी हमेशा तंदुरुस्त रहता है तो आइए जानते हैं कि कपालभाति को करके आप कैसे अपने साइनस की बीमारी को खत्म कर सकते हैं ।

भ्रामरी
भ्रामरी एक बहुत ही फायदेमंद योग माना जाता है जो दिमाग से संबंधित बीमारियों को ठीक करता है । यदि आपके सर में दर्द रहता है या आपको सर्दी जुखाम है या फिर आपका सर भारी लगता है या फिर काम में मन नहीं लगता है तो इन सब में भ्रामरी आपकी सहायता कर सकता है । यदि आप रोज 10 से 15 मिनट भ्रामरी करते हैं तो आपका दिमाग बेहद शांत और कंसंट्रेटेड रहने लगता है और आपको काफी खुशी भी महसूस होती है ।
अब आपको ओम का उच्चारण करना है जब आप ओम का उच्चारण 1 से 2 मिनट तक लगातार करेंगे तो इससे एक वाइब्रेशन बनेगा और यह वाइब्रेशन आपके दिमाग के विकारों को दूर करना शुरू कर देगा ।
भ्रामरी अगर आप कम से कम रोज 10 से 15 मिनट करें तो यह भी साइनस को ठीक कर सकती है ।
साइनस से बचने के कुछ और टिप्स – साइनस का रामबाण इलाज
1) साइनस कफ दोष की वजह से होने वाली बीमारी है । यदि आप अपने कफ को नियंत्रण में रखेंगे तो आपको साइनस की समस्या नहीं होगी । इसके लिए आपको हमेशा गुनगुने पानी का सेवन करना चाहिए और कभी भी फ्रिज में रखे ठंडे पानी का सेवन नहीं करना चाहिए ।
2) यदि आप साइनस जैसी बीमारी से बचना चाहते हैं तो आपको नस्यकर्म का प्रयोग अपने जीवन में करना चाहिए नस्यकर्म का मतलब होता है अपने नाक में घी डालना इसके लिए आप देशी घी को थोड़ा गर्म कर ले और इसे लेटकर अपनी नाक में दो-दो बूंद डाल दें 5 मिनट तक लेटे रहे और उसके बाद आप उठ जाए ऐसा करने से आपके साइनस की समस्या को दूर होने में काफी सहायता मिलेगी । लंबे समय तक नस्यकर्म करने से आपका दिमाग हमेशा स्वस्थ बना रहेगा ( साइनस का रामबाण इलाज ) ।
3) रात में उन खाद्य पदार्थों का सेवन बिलकुल ना करें जिसकी तासीर ठंडी है जैसे कि दही, केला, संतरा आदि क्योंकि रात में इन चीजों के सेवन से कफ बढ़ता है और सर्दी जुखाम होने की संभावना बढ़ती है और सर्दी जुकाम के लंबे समय तक होने की वजह से ही साइनस जैसी समस्याएं सामने आती हैं ।
4) प्रदूषण से बचने की कोशिश करें क्योंकि प्रदूषण ही 70% श्वास से संबंधित बीमारियों का कारण माना जाता है ( साइनस का रामबाण इलाज ) । प्रदूषण के कारण ही दिमाग में नैनो पार्टिकल्स जमा हो जाते हैं जिसके कारण भी साइनस जैसे बीमारियां पैदा होती है इसलिए जब भी आप बाहर निकले तो मास्क जरूर लगाएं और प्रदूषण से अपने आपको बचा कर रखने की कोशिश करें ।