देश में ग्रामीण बैंको का इतिहास साल 1975 से शुरू होता है. जब भारत की 70% ग्रामीण आबादी को बैंकिग सुविधाएं देने के उद्देश्य से तत्कालीन सरकार ने 26 सितंबर 1975 को अध्यादेश (RRB Ordinance 1975) पारित कर 2 अक्टूबर 1975 को देश के पहले ग्रामीण बैंक “प्रथमा बैंक (Prathama Bank)” की स्थापना की. जिसकी आरंभिक पूंजी 5 करोड़ रूपये थी. इसके बाद 2 अक्टूबर 1976 को पांच अन्य ग्रामीण बैंको की शुरुआत हुई. जिनकी कुल आरम्भिक पूंजी 100 करोड़ रुपए थी. एक समय देश में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की संख्या 196 तक पहुँच गयी थी. फिर सरकार ने क्रमबद्ध तरीके से Regional Rural Banks – RRBs) के Merger की शुरुआत की. 1 अप्रैल 2020 को देश में Regional Rural Banks- RRBs की कुल संख्या महज 43 बची है.

और सरकार एकबार फिर इनके स्वरूप को बदलने की प्रक्रिया में है. ऐसा प्रतीत होता है की इस साल के अंत तक सरकार देश के सभी ग्रामीण बैंको को मर्ज करके एक ग्रामीण बैंक  बना देगी. हालाँकि ऐसी भी चर्चाएं हैं की सरकार अपनी 50% हिस्सेदारी प्रायोजक बैंक (Sponsors Bank) को देकर खुद इन ग्रामीण बैंको से बाहर निकल जायेगी. यदि सरकार देश की सभी 43 ग्रामीण बैंको को मिलाकर एक बैंक राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (National Agriculture  Rural Development Bank Of India-NARDBI) बनाती है तो उसकी बैलेंस सीट (Balance Sheet) कैसी होगी है, उसका कुल व्यवसाय (Total Business) कितना होगा? कुल कितने कर्मचारी (Total Employees) होंगे, कुल कितनी शाखाएं (Branches) होंगी.
CRAR, CASA Ratio आदि पैरामीटर्स में बैंक कहाँ स्टैंड करेगा. इस लेख को पढ़ने के बाद , आपको इन सारे सवालों के जबाब मिल जाएंगे. आपको बता दें देश की सभी ग्रामीण बैंको में भारत सरकार की हिस्सेदारी 50%, सम्बंधित राज्य सरकार की हिस्सेदारी 15% एवं प्रायोजक बैंक की हिस्सेदारी 35% होती है.

31 मार्च 2021 को नाबार्ड (National Bank for Agriculture and Rural Development- NABARD) द्वारा जारी लेटेस्ट डाटा के अनुसार देश की सभी 43 ग्रामीण बैंको  का कुल बिजनेस 8 लाख 60 हज़ार करोड़ (8,60,408 करोड़) से अधिक है. जिसमे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इस साल 10.7 प्रतिशत की शानदार वृद्धि हुई है. पिछले वित्त वर्ष में सभी 43 ग्रामीण बैंको  का कुल बिजनेस  7,76,952 करोड़ (31 मार्च 2020) रूपए था. वहीं अगर 31 मार्च 2019 को सभी 43 ग्रामीण बैंको  के कुल बिज़नेस  की बात करें तो यह 7,15,199 करोड़ रूपए था.
वहीं अगर सभी 43 RRBs के कुल लोन एडवांस  की बात करें तो यह 31 मार्च 2021 को नाबार्ड  (NABARD) द्वारा जारी आँकड़ो अनुसार 3,35,706,करोड़ है. जिसमें पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 12.40% की बृद्धि हुई है. अगर 31 मार्च 2021 को नाबार्ड द्वारा जारी आँकड़ो अनुसार देश की सभी 43 RRBs के कुल डिपाजिट (Total Deposit) की बात करें तो यह 5,25,220 करोड़ हो गया है. जिसमें पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 09.70% की बृद्धि हुई है.
31 मार्च 2021 को नाबार्ड (NABARD) द्वारा जारी आँकड़ो के अनुसार देश की सभी 43 RRBs का कुल प्रॉफिट 1557 करोड़ रूपए है. 31 मार्च 2021 को कुल 43 RRBs में 29 RRBs मुनाफा  में हैं. जबकि कुल 14 RRBs घाटा में हैं. अगर पिछले वित्तीय वर्ष की बात करें तो वित्तीय वर्ष 2019-20 में देश की सभी 43 ग्रामीण बैंको को कुल मिलाक2208 करोड़ घाटा हुआ था.
31 मार्च 2021 को नाबार्ड (NABARD) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश की सभी 43 ग्रामीण बैंको का औसत CRAR 10.10 प्रतिशत है. जो RBI द्वारा निर्धारित न्यूनतम वैधानिक शर्त 9 प्रतिशत से अधिक है. हालाँकि अगर पिछले तीन साल का रिकॉर्ड देखें तो CRAR के मामलें में ग्रामीण बैंको के लिए थोड़ी निराशाजनक खबर है. क्योंकि यह पिछले तीन सालों से लगातार कम हो रहा है. साल 2019 की 31 मार्च को सभी 43 ग्रामीण बैंको CRAR 11.5% था. जो 31 मार्च 2020 को घटकर 10.3% हो गया था. और इस साल मार्च 2021 में यह घटकर 10.1% प्रतिशत हो गया है.
1 अप्रैल 2020 को नाबार्ड (NABARD) द्वारा जारी आँकड़ो के अनुसार ग्रामीण बैंको में कुल कर्मचारियों की संख्या 91,618 था. जिसमें 50,958 ऑफिसर्स एवं 40,660 अन्य कर्मचारी कार्य कर रहे थे.
1 अप्रैल 2020 को जारी नाबार्ड (NABARD) के डाटा के अनुसार देश की सभी ग्रामीण बैंको  की कुल ब्रांचों की संख्या  22,907 है.  जिसमे 15,345 ब्रांच ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Branches) में स्थित हैं.  4705 ब्रांच Semi Urban Branches क्षेत्रों में, 1411 ब्रांच अर्बन क्षेत्रों में तथा 389 ब्रांच मेट्रो क्षेत्रों में स्थित हैं.
31 मार्च 2020 को देश के सभी 43 ग्रामीण बैंक अपनी कुल 22,907 शाखाओं के साथ देश के 685 जिलों में अपनी सेवाएं दे रहें हैं. सभी 43 ग्रामीण बैंको के कुल कर्मचारियों की संख्या 91,618 है.

राष्ट्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना

नमस्ते भारत को दिए एक साक्षात्कार में आल इण्डिया ग्रामीण बैंक आफिसर्स  आर्गेनाईजेशन के राष्ट्रीय उपमहासचिव श्रीविलाश मिश्रा ने कहा की सोशल मीडिया में भ्रम का वातावरण बनाने वाले ग्रामीण बैंक में कार्यरत कुछ संगठन का वस्तुस्थिति से अज्ञान होकर ग्रामीण बैंक कर्मियों में निराशा व्याप्त करना है. प्रायोजक बैंकों के विलय के विरोध में हडताल करनेवाले संगठनो द्वारा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का प्रायोजक बैंकों में विलय की मांग सैद्धांतिक दिवालियापन की पराकाष्ठा का परिचायक है. 
नमस्ते भारत को दिए एक साक्षात्कार में आल इण्डिया ग्रामीण बैंक आफिसर्स एवं वर्कर्स आर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय समन्वयक “आर.के.गौतम” ने बताया कि
हमारे संगठनों ने दिनांक 05/06/2021 को माननीया वित्त मंत्री को पत्र में राष्ट्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना हेतु निम्न पृष्ठभूमि को सूचित करते हुए केन्द्र सरकार के RURBAN के स्वप्न को साकार करने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना हेतु शीघ्र निर्णय लेने का निवेदन किया है.
आल इंडिया ग्रामीण बैंक वर्कर्स आर्गेनाइजेशन द्वारा 1984 की जनरल काउंसिल की जयपुर मैं आयोजित बैठक में रूरल बैंक ऑफ इंडिया गठन का प्रस्ताव पारित किया था. तब से आजतक हमारे मत में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.
13 मई 1992 को संगठन ने वित्त मंत्रालय में तत्कालीन अतिरिक्त सचिव , जॉइंट सेक्रेटरी सर्व श्री के जय भारत रेड्डी, दिनेश चंद्र के समक्ष नेशनल रूरल बैंक ऑफ इंडिया का माडल प्रस्तुत किया था.  उक्त माडल को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया मुंबई बैठक दिनांक 28.08.1992, संसद की स्टेंडिंग कमिटी की चतुर्थ रपट   23.12.1993; पचपनवी रपट 22.12.2003; कृषि ग्रामीण विकास एवम वित्त मंत्रालय के अधिकारीगण वित्त मंत्री की अध्यक्षता मैं अक्टूबर 1993 ,गवर्नर भारतीय रिजर्व बैंक और अध्यक्ष नाबार्ड ने 19 देशों की यात्रा उपरांत NRBI गठन का अनुमोदन किया था.
संगठन ने पूर्व वित्त मंत्री स्व.श्री अरुण जेटली जी के समक्ष दिनांक 05/08/2014 को एवं वर्तमान वित्त मंत्री माननीया श्रीमती निर्मला सीतारमण के समक्ष दिनांक 05/09/2019 को पावर पावईंट प्रस्तुतिकरण किया था. भारतीय मजदूर संघ के महामंत्री, संगठन मंत्री एवं वित्तीय क्षेत्र के प्रभारी ने दिनांक 10/03/2021को माननीया वित्त मंत्री से मुलाकात कर राष्ट्रीय ग्रामीण बैंक बनाने की मांग किया है.
संगठन द्वय ने उपरोक्त के साथ वर्तमान केन्द्रीय मंत्रिमंडल के कई वरिष्ठ मंत्रियों ,वर्तमान एवं पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा समय समय पर संसद के अंदर व बाहर धरना, प्रदर्शन, गिरफ्तारी दे राष्ट्रीय ग्रामीण बैंक स्थापना की पुरजोर मांग की गई. केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने फरवरी 2013 में संगठन द्वय के कटक अधिवेशन में राष्ट्रीय ग्रामीण बैंक स्थापना एवं वेतन समानता को लागू कराने का वचन घोषणा की थी.
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय मजदूर संघ के घटक होने के नाते संघठन संवाद से विषय का निराकरण करने में दृढ़ विश्वास किंतु अन्यथा परिस्थिति में संघर्ष हेतु भी कटिबद्ध है.

निष्कर्ष:
वर्तमान में नया कृषि कानून का देश के कुछ किसान संगठनों द्वारा कतिपय कारणों से विरोध करने का भले ही राजनीतिक कारण हो, परन्तु कृषि क्षेत्र के लिए पूर्णतः एक बैंक बनने साथ ही लघु एवं मध्यम उद्योग को आर्थिक सहयोग प्रदान करने के लिए देश के सभी 43 ग्रामीण बैंकों की 22907  शाखाओं का एकीकरण कर “राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक” की स्थापना करने से किसानों की समस्या समाधान के साथ कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने एवं “वोकल फार लोकल” परिकल्पना को साकार करने का एक मजबूत स्तंभ बनेगा.

About author:  Sri Ashok Kumar Choudhary, is a retired Senior Manager from Uttar Bihar Gramin Bank having 37 years of experience serving in RRB. He also held National Level leadership position in All India Gramin Bank Officers’ Organisation [Affiliate: B.M.S.] 

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