ज्योतिष शास्त्र “चतुर्थ अध्याय”

अशोक  कुमार चौधरी

कुंडली के बारह (12) भाव
प्रत्येक भाव क्या बताता है और हमें किसी विषय के बारे में जानना हो तो उस विषय को उस भाव से देखें।

भाव का परिचय :-

जन्म कुंडली में भाव क्या होते हैं आइए उन्हेँ जानने का प्रयास करें. जन्म कुंडली में बारह भाव होते हैं और हर भाव में एक राशि होती है. कुँडली के सभी भाव जीवन के किसी ना किसी क्षेत्र से संबंधित होते हैं. इन भावों के शास्त्रो में जो नाम दिए गए हैं वैसे ही इनका काम भी होता है. पहला भाव तन, दूसरा धन, तीसरा सहोदर, चतुर्थ मातृ, पंचम पुत्र, छठा अरि, सप्तम रिपु, आठवाँ आयु, नवम धर्म, दशम कर्म, एकादश आय तो द्वादश व्यय भाव कहलाता है।

सभी बारह भावों को भिन्न काम मिले होते हैं. कुछ भाव अच्छे तो कुछ भाव बुरे भी होते हैं. जिस भाव में जो राशि होती है उसका स्वामी उस भाव का भावेश कहलाता है. हर भाव में भिन्न राशि आती है लेकिन हर भाव का कारक निश्चित होता है.

बुरे भाव के स्वामी अच्छे भावों से संबंध बनाए तो अशुभ होते हैं और यह शुभ भावों को खराब भी कर देते हैं. अच्छे भाव के स्वामी अच्छे भाव से संबंध बनाए तो शुभ माने जाते हैं और व्यक्ति को जीवन में बहुत कुछ देने की क्षमता रखते हैं. किसी भाव के स्वामी का अपने भाव से पीछे जाना अच्छा नहीं होता है, इससे भाव के गुणो का ह्रास होता है. भाव स्वामी का अपने भाव से आगे जाना अच्छा होता है. इससे भाव के गुणो में वृद्धि होती है.
*अशोक कुमार चौधरी

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*✔️प्रथम भाव – First House*

तनु भाव प्रथम भाव से व्यक्ति की शारीरिक संरचना का विचार किया जाता है. पूरे शरीर की बनावट इस भाव से देखी जाती है. शरीर का रंग, रुप, बाल, सहनशक्ति, ज्ञान, स्वभाव जीवन के सुख-दुख, स्वास्थ्य, शरीर का बलाबल, मानसिक प्रवृ्त्ति को बताता है.

*✔️द्वितीय भाव – Second House*

धन भाव इस भाव से व्यक्ति की वाणी, कुटुम्ब,धन आदि का विचार किया जाता है. इस भाव से दांई आँख का भी विचार किया जाता है. विद्या,चेहरा, खान-पान की आदतें आदि भी इसी भाव से देखी जाती हैं. सच और झूठ, जीभ, मृ्दु वचन, मित्रता, शक्ति, आय की विधि आदि बातों का विचार भी इस भाव से किया जाता है. यह भाव मारक भाव भी है. इस भाव से मृ्त्यु के बारे में भी पता चलता है. कुण्डली का प्रथम मारक स्थान है.
*अशोक कुमार चौधरी

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🚩तृतीय भाव – Third House*

सहज भाव इस भाव से छोटे भाई-बहन, धैर्य,पराक्रम,व्यक्ति का पुरुषार्थ, छोटी यात्राएँ, दाहिना कान और दाहिना हाथ, शक्ति, वीरता, बन्धु, मित्रता, नौकर, दास-दासी. यह मजबूत इच्छा शक्ति का भी भाव है. महर्षि पराशर के अनुसार तृ्तीय भाव उपदेश या धार्मिक उपदेश का भी होता है. दूसरों को ताप पहुंचाना भी इस भाव का कारकत्व है.

*🚩चतुर्थ भाव – Fourth House*

सुख भाव यह भाव भवनों का प्रतीक है. घर, घर से निकालना, वाहन,माता,घर का सुख,झूठा आरोप, मकान, खेतीबाड़ी, वाहन, आदि इस भाव से देखा जाता है. भौतिक सुखों की प्राप्ति, अनुभूति, माता से वात्सल्य का सुख, माता के पूरे भविष्य का पता इस भाव से चलता है. ऎशों – आराम के सभी साधन, पद मिलेगा या नहीं इस भाव से देखते हैं. जीवन के प्रति नकारात्मक और सकारात्मक दृ्ष्टिकोण यहीं से पता चलता है. सामान्य शिक्षा, मन के भाव, मस्तिष्क, भावुकता आदि इस भाव से देखा जाता है. इस भाव से छाती और फेफड़ों को देखते हैं.

*🚩पंचम भाव – Fifth House*

पुत्र भाव [संतान भाव] यह संतान प्राप्ति का भाव है. शिक्षा का भाव है. शिक्षा का स्तर कैसा होगा, इस भाव से पता चलेगा. विवेक का भाव, पूर्व जन्म के संचित कर्म, पंचम भाव से प्रेम संबंध, लेखन कार्य भी पंचम भाव से देखते हैं. पंचम भाव से राज शासन, मंत्रीत्व, शास्त्रों का ज्ञान, लॉटरी, पेट, स्मृ्ति आदि का विचार किया जाता है. इस भाव से ह्रदय, पेट का ऊपरी भाग का विचार करते हैं.

*🚩षष्ठ भाव – Sixth House*

अरि भाव [शत्रु भाव] इस भाव से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हर प्रकार के शत्रुओं का विचार किया जाता है. शारीरिक और मानसिक शत्रु [काम, क्रोध, मद, लोभ] अहंकार, सेवा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा [competition in service] रोग की प्रारम्भिक अवस्था, ऋण, जैसे जीवन यापन और व्यापार आदि के लिये ऋण आदि लेना इसी भाव से. छठा भाव सर्विस भाव भी है. चिकित्सकों की कुण्डली में यह भाव बली होता है. वकीलों का व्यवसाय भी यहीं से देखा जाता है. सौतेली मां, झगडा़ – मुकदमा, पानी से भय, जानवर से भय, मामा – मौसी को भी इस भाव से विचारते हैं. इस भाव से गुर्दे, पेट की आँतें तथा हर तरह के व्यसनों का विचार किया जाता है.

*🚩सप्तम भाव – Seventh House*

दारा या कलत्र भाव इस भाव से जीवन साथी का विचार करते हैं. उसका रुप-रंग, शिक्षा, व्यवहार सभी का विचार इस भाव से किया जाता है. दाम्पत्य जीवन सुखी रहेगा या उसमें कलह होगा, सभी का विचार इस भाव से होता है. यह साझेदारी का भाव है. आधुनिक समय में इस भाव से व्यापार तथा व्यापार में साझेदारी की गुणवत्ता का विचार करते हैं. इस भाव से जीवन के हर क्षेत्र की साझेदारी को देखा जाता है. प्रजातंत्र में यह जनता का भाव भी है. नेताओं की कुण्डली में यदि यह भाव बली है तो वह नेता जनता में लोकप्रिय होगा. इस भाव से मध्यम स्तर की यात्राएं देखते हैं इस भाव से travels for fun and travels for business भी देखते हैं. यह कुण्डली का दूसरा मारक स्थान है.
*अशोक कुमार चौधरी

संपर्क सूत्र 9 431229143

*🚩अष्टम भाव – Eighth House*

इस भाव से पैतृ्क सम्पति, विरासत, अचानक आर्थिक लाभ, वसीयत आदि अष्टम भाव के सकारात्मक पक्ष है. लम्बी बीमारी, मृ्त्यु का कारण, यौन संबंध, दाम्पत्य जीवन, अष्टम भाव का नकारात्मक पक्ष है. इस भाव से जननेन्द्रियों का विचार करते हैं.

*🚩नवम भाव – Ninth House*

भाग्य भाव नवम भाव से आचार्य, गुरुजन, पिता और अपने से बडे़ सम्मानित लोगों का विचार किया जाता है. यह भाव भाग्य भाव भी कहलाता है. इस भाव से लम्बी समुद्र यात्रा, तीर्थ यात्राएं, भाई की स्त्री, जीजा, अपने बच्चों की संतान का विचार भी इस भाव से होता है. आध्यात्मिक प्रवृ्तियाँ, भक्ति या धर्म अनुराग, सीखना या ज्ञान प्राप्त करना, धार्मिक और न्याय से संबंधित व्यक्तियों के बारे में इस भाव से विचार करते हैं. एक अच्छा नवम भाव कुण्डली को बहुत बली बनाता है. नवम भाव से जाँघें देखते हैं.

*🚩दशम भाव – Tenth House*

कर्म स्थान यह कर्म का क्षेत्र है. रोजगार के लिये जो कर्म करते है वो दशम भाव से देखे जाते हैं. किस आयु में कर्म की प्राप्ति होगी, कर्म का क्षेत्र क्या होगा, किस तरह से समय का सदुपयोग या दुरुपयोग करते हैं. रोजगार कैसा और कब शुरु होगा, रोजगार में टिकाव रहेगा या नहीं, रोजगार में कितना मान मिलेगा , स्वयं का मान-सम्मान आदि बातों का विचार इस भाव से किया जाता है. प्रसिद्धि, सम्मान, आदर, प्रतिष्ठा तथा व्यक्ति की उपलब्धियाँ दशम भाव से देखी जाती है. दशम भाव से घुटनों का विचार किया जाता है.

*🚩एकादश भाव – Eleventh House*

आय या लाभ भाव इस भाव से आय, लाभ, पद प्राप्ति, प्रशंसा, बडे़ भाई – बहन, पुत्र वधु, बांया कान और बांहें देखते हैं. व्यापार से लाभ – हानि और सभी प्रकार के लाभ इस भाव से देखे जाते हैं. जो कर्म जातक ने किये हैं उनका श्रेय इस भाव से मिलता है. इस भाव से पिण्डलियाँ और टखने का विचार करते हैं.

*🚩द्वादश भाव – Twelfth House*

व्यय भाव जिंदगी का अंतिम पडा़व, हर तरह के व्यय, हानि, बरबादी, जेल, अस्पताल, षडयंत्र आदि इस भाव से देखे जाते हैं. खुफिया पुलिस, दरिद्रता, पाप, नुकसान, शत्रुता, कैद, शयन सुख, बायां नेत्र, गुप्त शत्रु, निंदक आदि का विचार इस भाव से किया जाता है. आधुनिक सन्दर्भ में विदेश यात्रा, विदेश में व्यवसाय, विदेशों में रहना आदि का विचार इस भाव से किया जाता है. इस भाव से पैर और पैर की अंगुलियों का विचार करते हैं. जो लोग आध्यात्म से जुडे़ हैं उनकी कुण्डली में द्वादश भाव का बहुत महत्व होता है. आध्यात्मिक जीवन के संकेत और मोक्ष के विषय में द्वादश भाव से विचारये करते हैं।

*✔️अभी ऊपर हमने देखा कि प्रत्येक भाव का क्या काम है।।

*अशोक कुमार चौधरी “ज्योतिर्विद”

संपर्क सूत्र 9 431229143*

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