ज्योतिष शास्त्र: नवम अध्याय

 

अशोक कुमार चौधरी “ज्योतिर्विद”

संपर्क सूत्र 9431229143

जीवन का व्यक्तित्व और काल पुरुष में राशियों का ज्ञान

मनुष्य के व्यक्तित्व को दा भागों में विभक्त किया है।
बाह्म व्यक्तित्व:- के अनुसार मानव इस भौतिक शरीर के रूप में जन्म लेकर अपने पूर्व जन्म के विचार, भाव और क्रियाओं के अनुसार अपने-आपको ढालता है तथा शनै:-शनै: जीवन-अनुभवों के द्वारा अपने व्यक्तित्व का विकास करता है।
आन्तरिक व्यक्तित्व:- वह है, जो बाह्म जगत के संचित एवं क्रियमाणा कार्यों, अनुभवों एवं विचारों को अपने आप में संजोकर रखता है।
मनुष्य धीरे-धीरे अपने आन्तरिक और बाह्म दोनों प्रकार के व्यक्तित्व में एकरूपता लाने का प्रयत्न करता है। ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार बाह्म व्यक्तित्व के 3 रुपों-भाव, विचार और क्रिया तथा आन्तरिक व्यक्तित्व के 3 रूपों-स्मृति, अनुभव और प्रवृत्ति को अंत:करण एकरूप में संगठित करता है। इस प्रकार इन सातों रूपों के प्रतीक सौर जगत में रहने वाले 7 ग्रहों को माना गया है, जिनकी न्यूनाधिक्यता से मानव जीवन का समाष्टि रूप व्यक्तित्व बनकर जगत में निखरता है। संक्षेप में रूप एवं उनके प्रतीक ग्रह इस प्रकार है:-
रूप ग्रह प्रभाव
बाह्म व्यक्तित्व प्रथम रूप बृहस्पति शरीर, हमें, कानून, सौन्दर्य, प्रेम, शक्ति आदि
के रूप में।
द्वितीय रूप मंगल इन्द्रियज्ञान, आनंद, इच्छा, साहस, दृढ़ता,
आत्मविश्वास आदि के रूप में।
तृतीय रूप चंद्रमा शरीर व मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तन,
संवेदन, भावना, कल्पना, लाभेच्छा आदि के
प्रतीक रूप में।
आन्तरिक व्यक्तित्व प्रथम रूप शुक्र नि:स्वार्थ प्रेम, भ्रातृत्व, स्नेह, स्वच्छता, कार्य-
क्षमता, परख, बुद्धि आदि के प्रतीक रूप में।
द्वितीय रूप बुध आध्यात्मिक शक्ति, निर्णय, बुद्धि, स्मरणशक्ति
सूक्ष्म, कला प्रेम, तर्क, खंडन-मंडन के प्रतीक
रूप से।
तृतीय रूप सूर्य दैवत्य, सदाचार, इच्छा, शक्ति, प्रभुता, ऐश्वर्य,
महत्वाकांक्षा, आत्मविश्वास, सह्रदयता आदि के
प्रतीक रूप में।
अन्त: करण शनि तात्विकज्ञान, नायकल्पना, माननशीलता, धैर्य,
दृढ़ता, गंभीरता, सतर्कता, कार्यक्षमता आदि के
प्रतीक रूप में।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि मानव-जीवन के विभिन्न अवयवों के प्रतीक सौर मंडल के 7 ग्रह हैं, जिनका प्रभाव मानव-जीवन पर पड़ता है।

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वराहमिहिर ने इन 7 ग्रहों और 12 राशियों की स्थिति अपने शरीर में ही बताई है, जो कि इस प्रकार है:👇-
शरीर भाग राशि
1. मस्तक मेष
2. मुख वृष
3. वक्ष: स्थल मिथुन
4. ह्रदय कर्क
5. उदर सिंह
6. कटि कन्या
7. वस्ति तुला
8. लिंग वृश्चिक
9. जंघा धनु
10. घुटना मकर
11.पिंडलिया कुम्भ
12. पैर मीन

इसके साथ-साथ इन 12 राशियों में भ्रमण करने वाले ग्रहों में आत्मा, रवि, मन चन्द्रमा, धैर्य मंगल, वाणी बुध, ज्ञान गुरू, वीर्य शुक्र और संवेदना को शनि का प्रतीक माना है।
इस प्रकार से इस शरीर स्थित सौर मंडल का बाह्म सौर मंडल से परस्पर सम्बंध बना रहता है। ज्योतिष शास्त्र और मंडल के ग्रहों की स्थिति, गति आदि के अनुसार शरीर स्थित ग्रहों की गति आदि को स्पष्ट कर फलाफल का निर्देश करता है।
ग्रहों का मनुष्यों पर प्रभाव
हमारी पृथ्वी भी सौर मंडल की एक सदस्या है और वह अनवरत रूप में सूर्य से आकर्षित होकर उसकी परिक्रमा कर रही है। पृथ्वी की आकर्षण शक्ति है जिससे प्रभावित होकर सूर्य उसे अपनी ओर खींचने की चेष्टा में है। उसे प्रकाश, ताप आदि भेंट करता रहता है, जिसके फलस्वरूप पृथ्वी के जीवधारियों में प्राण और शक्ति का संचार होता रहता है। सूर्य चन्द्रमा की तरह अन्य ग्रहों का प्रभाव भी पृथ्वी पर पड़ता रहता है और यह एक-दूसरे को ओज आदि प्रदान करते रहते हैं। पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक मनुष्य का एक स्वतंत्र मनस्-अस्तित्व होता है, जिसके कारण ग्रह प्रत्येक मनुष्य पर भिन्न-भिन्न रूप में अपना प्रभाव डालते हैं।

अशोक कुमार चौधरी “ज्योतिर्विद” संपर्क सूत्र 9431229143

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