अगर बीजेपी बंगाल में जीती तो 819 साल बाद बंगाल में हिंदू राज की वापसी होगी, बंगाल में भी हिंदू साम्राज्य के पतन की मूल वजह बौद्ध धर्म की अहिंसा था.
बौद्ध धर्म की अहिंसा ने हिंदुओं का बहुत बड़ा नुकसान किया… अफ़ग़ानिस्तान में भी इस्लाम के क़ाबिज़ होने की वजह बौद्ध धर्म की अहिंसा बनी. आज भी बामियान में बुद्ध की मूर्तियों के रूप में बौद्ध धर्म के अवशेष बचे हुए हैं.
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7 वीं से 11 वीं सदी के बीच का दौर एक ऐसा दौर था जब दुनिया में एक बहुत हिंसक मजहब इस्लाम बहुत तेजी से अपना साम्राज्य फैला रहा था और दूसरी तरफ भारत के ज्यादातर क्षेत्रों में बौद्ध धर्म की अहिंसा प्रमुख हो गई थी. इससे इस्लाम के लिए भारत में क्लीन स्वीप करना काफी आसान हो गया.
ठीक ऐसा ही बंगाल में भी हुआ… बंगाल का आख़िरी हिंदू राजवंश 1202 में खत्म हो गया… इसको सेन वंश कहते थे… सेन राजवंश का राजधर्म हिंदू धर्म था. लेकिन सेन वंश के पहले बंगाल पर बहुत लंबे समय तक राज करने वाले पाल वंश का राजधर्म बौद्ध धर्म था. बौद्ध धर्म की वजह से बंगाल की जनता अहिंसक हो गई थी और इस्लामिक आताताइयो का मुकाबला करने में अक्षम हो गई थी.
1202 ईस्वी में बख्तियार खिलजी ने बहुत थोड़े घुड़सवारों की मदद से बहुत आसानी से बंगाल पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद के 50-60 सालों तक भारत पर खिलजी ट्राइब के लोग राज करते रहे… इन विदेशियों ने हिंदुओं को गुलाम बनाकर उनको दारुण दुख दिए.
इसके बाद 1256 ईस्वी के आसपास दिल्ली सल्तनत काफी मज़बूत हो गई थी. सुल्तान इल्तुतमिश ने बहुत चालाकी से बंगाल को अपना सूबा बना लिया और वहां अपना गवर्नर नियुक्त किया
लेकिन दिल्ली से बंगाल पर राज करना आसान नहीं था. इसीलिए जल्द ही यहां पर एक अलग स्वतंत्रत्र इस्लामिक बंगाली सल्तनत क़ायम हो गई… जो मुगल साम्राज्य के हस्तक्षेप तक स्वतंत्र बनी रही…
18वीं शताब्दी में मराठे बंगाल को अपनी तलवार के नीचे तो ले आए लेकिन बहुत लंबे समय तक यहाँ मराठों का राज्य भी कायम नहीं रह सका.
मराठों के कमजोर पड़ते ही यहां एक बार फिर बंगाल के नवाबों का कट्टर इस्लामी राज हो गया… अंग्रेजों के गवर्नर लार्ड क्लाइव ने नवाबों से ही सत्ता छीनी थी.
कुल मिलाकर 800 सालों तक बंगाल में हिंदुओं का खून चूसा गया… हिंदुओं के लिए यहाँ साँस लेना भी काफी मुश्किल रहा… उन्हें थोड़े वक्त के लिए भी राहत नहीं मिली.
बंकिम चंद्र चटर्जी ने यहीं पर वंदेमातरम… आनंद मठ की रचना की… इसी धरती पर संन्यासी विद्रोह हुआ… लेकिन बंगाल में सनातन का सूर्य फिर भी उदय नहीं हो सका. मुसलमानों की बढ़ती आबादी की वजह से बाद में बंगाल का विभाजन ही हो गया और आधा बंगाल पूरी तरह इस्लामिक हो गया.
अब बचे हुए बंगाल में भी 30 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम आबादी हो चुकी है और ये आबादी बंगाल की King नहीं लेकिन King Maker तो जरूर है.
फिर भी अगर इस बार बंगाल के हिंदुओं ने समझदारी दिखाई और एकजुट होकर बीजेपी को वोट दिया तो ये संभावना बन सकती है कि 800 साल बाद बंगाल में हिंदू राज की वापसी हो जाए. अन्यथा पूरे बंगाल का इस्लामीकरण तय है.
हर हर महादेव, जय श्रीराम
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