य भारतीय मजदूर संघ: राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित एक प्रमुख संगठन
*स्थापना और उद्देश्य*
भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) की स्थापना 1955 में दत्तोपंत ठेंगड़ी द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में शामिल करना था। बीएमएस का मानना है कि श्रमिकों को न केवल अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए, बल्कि राष्ट्र के विकास में भी योगदान देना चाहिए।
*गैर राजनीतिक संगठन*
बीएमएस एक पूर्ण रूपेण गैर राजनीतिक संगठन है, जिसका उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना और उनकी स्थिति में सुधार करना है, न कि किसी राजनीतिक दल या विचारधारा को बढ़ावा देना। बीएमएस का मानना है कि श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और उनकी स्थिति में सुधार के लिए सरकार, नियोक्ताओं और श्रमिकों के बीच सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है, न कि राजनीतिक हस्तक्षेप की।
*चुनौतियाँ*
बीएमएस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
– श्रम कानूनों में बदलाव और उनकी प्रभावी क्रियान्वयन
– गीग अर्थव्यवस्था और अनियमित रोजगार के बढ़ते प्रचलन
– एआइ और स्वचालन के कारण रोजगार के अवसरों में कमी
– श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और उनकी स्थिति में सुधार
*गीग अर्थव्यवस्था और अनियमित रोजगार*
गीग अर्थव्यवस्था और अनियमित रोजगार के बढ़ते प्रचलन ने श्रमिकों के अधिकारों और उनकी स्थिति को खतरे में डाल दिया है। बीएमएस का मानना है कि गीग अर्थव्यवस्था में श्रमिकों को भी नियमित रोजगार के समान अधिकार और सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। इसके लिए बीएमएस सरकार और नियोक्ताओं से मांग करती है कि वे गीग अर्थव्यवस्था में श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए नीतियों और कानूनों का निर्माण करें।
* *एआइ और स्वचालन की चुनौती*
एआइ और स्वचालन के कारण रोजगार के अवसरों में कमी आ रही है, जिससे श्रमिकों की स्थिति और भी खराब हो रही है। बीएमएस का मानना है कि एआइ और स्वचालन के कारण श्रमिकों को नए कौशल और प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है, ताकि वे बदलते हुए बाजार में अपनी स्थिति बनाए रख सकें। इसके लिए बीएमएस सरकार और नियोक्ताओं से मांग करती है कि वे श्रमिकों के लिए नए कौशल और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करें।
*श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा*
बीएमएस श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए निरंतर प्रयासरत है। बीएमएस का मानना है कि श्रमिकों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने का अधिकार है, और इसके लिए बीएमएस श्रमिकों को संगठित करने और उनकी आवाज़ को सरकार और नियोक्ताओं तक पहुंचाने का काम करती है।
* *राष्ट्र निर्माण में श्रमिकों की भूमिका*
बीएमएस का मानना है कि श्रमिक राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। बीएमएस श्रमिकों को राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में शामिल करने के लिए निरंतर प्रयासरत है, और इसके लिए बीएमएस श्रमिकों को प्रशिक्षण और शिक्षा प्रदान करने का काम करती है।
* *भविष्य की दिशा*
बीएमएस का मानना है कि श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और उनकी स्थिति में सुधार के लिए सरकार, नियोक्ताओं और श्रमिकों के बीच सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। बीएमएस भविष्य में भी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और उनकी स्थिति में सुधार के लिए काम करता रहेगा, और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में श्रमिकों की भूमिका को मजबूत बनाने के लिए प्रयासरत रहेगा।
डॉ अशोक चौधरी प्रियदर्शी
वरिष्ठ कार्यकर्ता, बीएमएस
अमला टोला, कटिहार, 854105
संपर्क: 9431229143
E-mail: ashoke.bms@gmail.com