एक जुराब की आत्मकथा: __विजयकान्त द्विवेदी
एक जुराब की आत्मकथा ————————————— मैं एक फटा हुआ जुराब, मोजा, या साक्स हूं।नित्य पैरों से रौंदा खाकर मेरी यह…
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एक जुराब की आत्मकथा ————————————— मैं एक फटा हुआ जुराब, मोजा, या साक्स हूं।नित्य पैरों से रौंदा खाकर मेरी यह…
“O Lord! Never lift me up to such a mighty height as to make me forget to embrace my fellow-beings”.…
बातचीत कैसे करें ? स्त्री-पुरुष का पारस्परिक वार्तालाप कैसे हो, किस विषय पर और कब हो, उन दोनों को अपने…
अनुभव आधारित सुखमय गृहस्थ जीवन के सूत्र संसार में बिना स्त्री के मनुष्य का जीवन नीरस और बिना पुरुष के…
बड़े घर की बेटी बेनीमाधव सिंह गौरीपुर गाँव के जमींदार और नम्बरदार थे। उनके पितामह किसी समय बड़े धन-धान्य संपन्न…
लालच आदमी को क्या से क्या बना देता है मुंशी प्रेमचन्द की कहानी “चमत्कार “ बी.ए. पास करने के बाद…
कफ़न झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं…
विध्वंस जिला बनारस में बीरा नाम का एक गाँव है। वहाँ एक विधवा वृद्धा, संतानहीन, गोंड़िन रहती थी, जिसका भुनगी…
दूध का दाम अब बड़े-बड़े शहरों में दाइयाँ, नर्सें और लेडी डाक्टर, सभी पैदा हो गयी हैं; लेकिन देहातों में…