दुनिया के किसी भी व्यक्ति, संस्था तथा देश को अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए और आपसी लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए एक मुद्रा (करेंसी) की जरूरत होती है ताकि उसका उपयोग वह सुचारू रूप से कर सके। इसलिए, प्रत्येक देश की अपनी अलग-अलग मुद्रा होती है, जैसे-भारत में रुपया, अमेरिका में डॉलर आदि। दरअसल, यह भौतिक करेंसी होती हैं जिसे आप देख सकते हैं, छू सकते हैं और नियमानुसार किसी भी स्थान या देश में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन क्रिप्टो करेंसी इससे अलग होती है जो एक डिजिटल करेंसी है। इसे आप न तो देख सकते हैं, न छू सकते हैं, क्योंकि भौतिक रूप में क्रिप्टो करेंसी का मुद्रण नहीं किया जाता। इसलिए इसे आभासी मुद्रा कहा जाता है। पिछले कुछ सालों में ऐसी करेंसी काफी प्रचलित हुई है।

तो आइए जानते हैं कि आखिर क्या है क्रिप्टो करेंसी ?

व्यापार के लिए डाउनलोड करें WazirApps :-

https://wazirx.com/invite/9x2dz4s7

क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी मुद्रा है जो कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी होती है। यह एक स्वतंत्र मुद्रा है जिसका कोई मालिक नहीं होता। यह करेंसी किसी भी एक अथॉरिटी के काबू में भी नहीं होती। अमूमन रुपया, डॉलर, यूरो या अन्य मुद्राओं की तरह ही इस मुद्रा का संचालन किसी राज्य, देश, संस्था या सरकार द्वारा नहीं किया जाता। यह एक डिजिटल करेंसी होती है जिसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर इसका प्रयोग किसी सामान की खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जा सकता है।

Watch this Video Also:-

https://youtu.be/By08QtebCOs?t=218

आपको पता होना चाहिए कि सर्वप्रथम क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत 2009 में हुई थी जो “बिटकॉइन” थी। इसको जापान के सतोषी नाकमोतो नाम के एक इंजीनियर ने बनाया था। प्रारम्भ में यह उतनी प्रचलित नहीं थी, किन्तु धीरे-धीरे इसके रेट आसमान छूने लगे, जिससे यह सफल हो गई। देखा जाए तो 2009 से लेकर वर्तमान समय तक लगभग 1500 प्रकार की क्रिप्टो करेंसी बाजार में मौजूद हैं, जो पियर टू पियर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के रूप में कार्य करती है।

खाता बनाने के लिए निम्न लिंक को क्लिक कर डाउनलोड करें, यह भारतीय और 100 प्रतिशत सुरक्षित है.

https://wazirx.com/invite/9x2dz4s7

 

आइए जानते हैं कि बिटकॉइन के अतिरिक्त अन्य बहुप्रचलित करेंसी कौन-कौन सी हैं ?

 

बिटकॉइन के अलावा भी अन्य क्रिप्टो करेंसी बाजार में उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग आजकल अधिक हो रहा है, जैसे- रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कोइन, वॉइस कॉइन और मोनरो, आदि आइए, अब इनके बारे में कुछ अहम बातें जानते हैं:-

1. रेड कॉइन:- बिटकॉइन के अलावा भी अन्य कई क्रिप्टो करेंसी हैं जिनका उपयोग विशेष अवसरों पर किया जा सकता है जिसमें से एक है “रेड कॉइन”। इसका उपयोग लोगों को टिप देने के लिए किया जाता है।

2. सिया कॉइन:- सिया कॉइन को एस सी से अंकित किया जाता है। यह कॉइन अच्छी ग्रोथ कर रही है। इस कॉइन की कीमत और भी अधिक बढ़ सकती है।

3. एसवाईएस कॉइन (सिस्कोइन):- यह क्रांतिकारी क्रिप्टो करेंसी है जो जीरो लागत के वित्तीय लेनदेन और अविश्वसनीय गति के साथ प्रदान करता है। व्यापार संपत्ति डिजिटल प्रमाणपत्र डाटा को सुरक्षित रूप से व्यापार करने के लिए बुनियादी ढांचे को व्यवसाय प्रदान करता है। सिस्कोइन ब्लॉकचेन पर कार्य करता है जो बिटकॉइन का ही एक हिस्सा है।

4. वॉइस कॉइन:- यह उभरते हुये संगीतकारों के लिए तैयार किया गया एक ऐसा मंच है जहां गायक अपने संगीत का स्वयं मूल्य निर्धारण कर सकते हैं। वे मुफ्त में संगीत का सैंपल ट्रैक प्रदान कर सकते हैं। साथ ही, मंच पर संगीत उत्साही और उपयोगकर्ताओं से समर्थन भी प्राप्त कर सकते हैं। इस मंच का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्र कलाकारों का मुद्रीकरण करना है।

5. मोनेरो:- यह भी एक प्रकार की क्रिप्टो करेंसी है जिसमें विशेष प्रकार की सिक्योरिटी का उपयोग किया जाता है। इसे रिंग सिग्नेचर नाम से जाना जाता है। इसका उपयोग डार्क वेब और ब्लॉक मार्केट में बहुत अधिक होता है। इसकी सहायता से स्मगलिंग की जाती है। इस करेंसी से कालाबाजारी आसानी से की जा सकती है।

आइए, समझें कि क्रिप्टो करेंसी की ग्रोथ कैसी है ?

यदि हम क्रिप्टो करेंसी की ग्रोथ के बारे में बात करें तो इसमें इन्वेस्टमेंट करना काफी फायदे का सौदा होता है। आज मार्केट में लगभग 1500 प्रकार की क्रिप्टो करेंसी मौजूद है और इन सभी कॉइन्स की कीमत लॉन्चिंग के समय ना के बराबर थी। हालांकि कुछ ही सालों में इनकी कीमत 1000 डॉलर तक भी पहुंच गई है। अब आप बिटकॉइन को ही ले लीजिए। जब बिटकॉइन लांच हुआ था तब दुनिया भर में रोजाना 1 करोड़ डॉलर की ट्रांजैक्शन होती थी जिसमें 1 डॉलर भी बिटकॉइन की ट्रांजैक्शन नहीं की जाती थी। लेकिन आज के समय में बिटकॉइन की 1 हफ्ते में 1 ट्रिलियन डॉलर की ट्रांजैक्शन की जा रही है जबकि पूरी दुनिया में फिजिकल करेंसी की हफ्ते भर की ट्रांजैक्शन लगभग 70 ट्रिलियन डॉलर की हो जाती है। 1 डॉलर की कीमत से शुरू हुआ बिटकॉइन आज 50000 डॉलर की कीमत तक पहुंच चुका है। अतः आप खुद ही अनुमान लगा सकते हैं कि क्रिप्टो करेंसी की भविष्य में क्या ग्रोथ हो सकती है।

जानिए, क्रिप्टो करेंसी से क्या-क्या लाभ है ?

हमें पता है कि किसी भी वस्तु के फायदे और नुकसान दोनों ही होते हैं। इसलिए हम यहां सबसे पहले क्रिप्टो करेंसी के लाभ के बारे में बताते हैं। फिर भी, आमतौर पर हम कह सकते हैं कि क्रिप्टो करेंसी के लाभ अधिक हैं और घाटा कम। पहला, क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल करेंसी है जिसमें धोखाधड़ी की उम्मीद बहुत कम होती है। दूसरा, अधिक पैसा होने पर क्रिप्टो करेंसी में निवेश करना फायदेमंद है क्योंकि इसकी कीमतों में बहुत तेजी से उछाल आता है। लिहाजा, निवेश के लिए यह एक अच्छा प्लेटफॉर्म है। तीसरा, अधिकतर क्रिप्टो करेंसी के वॉलेट उपलब्ध हैं जिसके चलते ऑनलाइन खरीदारी, पैसे का लेन-देन सरल हो चुका है। चौथा, क्रिप्टो करेंसी को कोई अथॉरिटी कंट्रोल नहीं करती जिसके चलते नोटबंदी और करेंसी का मूल्य घटने जैसा खतरा किसी के सामने नहीं आता। पांचवां, कई देश ऐसे हैं जहां कैपिटल कंट्रोल नहीं है। मतलब कि यह बात तय ही नहीं है कि देश से बाहर कितना पैसा भेजा जा सकता है और कितना मंगवाया जा सकता है। लिहाजा, क्रिप्टो करेंसी खरीद कर उसे देश के बाहर आसानी से भेजी जा सकता है और फिर उसे पैसे में रुपांतरित किया जा सकता है। छठा, क्रिप्टो करेंसी का सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को होता है जो अपना धन छुपाकर रखना चाहते हैं। इसलिए क्रिप्टो करेंसी पैसे छुपाकर रखने का सबसे अच्छा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा है। सातवां, क्रिप्टो करेंसी पूरी तरह से सुरक्षित है। बस आपको उसके लिए ऑथेंटिकेशन रखने की आवश्यकता होती है, क्योंकि ऐसी करेंसी ब्लॉकचेन पर आधारित है। लिहाजा, किसी भी प्रकार का ट्रांजैक्शन करने के लिए पूरे ब्लॉकचेन को माइन करना पड़ता है।

आइए, जानते हैं कि क्रिप्टो करेंसी के नुकसान क्या-क्या हैं ?

पहला, क्रिप्टो करेंसी का सबसे बड़ा नुकसान तो यही है कि इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है, क्योंकि इसका मुद्रण नहीं किया जा सकता। मतलब कि ना तो इस करेंसी के नोट छापे जा सकते हैं और न ही कोई बैंक अकाउंट या पासबुक जारी की जा सकती है। दूसरा, इसको कंट्रोल करने के लिए कोई देश, सरकार या संस्था नहीं है जिससे इसकी कीमत में कभी बहुत अधिक उछाल देखने को मिलता है तो कभी बहुत ज्यादा गिरावट, जिसकी वजह से क्रिप्टो करेंसी में निवेश करना जोखिम भरा सौदा है। तीसरा, इसका उपयोग गलत कामों के लिए जैसे हथियार की खरीद-फरोख्त, ड्रग्स सप्लाई, कालाबाजारी आदि में आसानी से किया जा सकता है, क्योंकि इसका इस्तेमाल दो लोगों के बीच ही किया जाता है। लिहाजा, यह काफी खतरनाक भी हो सकता है। चौथा, इसको हैक करने का भी खतरा बना रहता है। यह बात दीगर है कि ब्लॉकचेन को हैक करना उतना आसान नहीं है क्योंकि इसमें सुरक्षा के पूरे इंतजाम होते हैं। बावजूद इसके, इस करेंसी का कोई मालिक न होने के कारण हैकिंग होने से मना भी नहीं किया जा सकता है। पांचवां, इसका एक और नुकसान यह है कि यदि कोई ट्रांजैक्शन आपसे गलती से हो गया तो आप उसे वापस नहीं मंगा सकते हैं जिससे आपको घाटा होता है।

Watch this Video Also:-

https://youtu.be/eLNICoW4ZXY?t=27

उच्चतम न्यायालय ने 4 मार्च, 2020 को क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में निवेश और व्यापार पर भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया है। उच्चतम न्यायालय ने RBI के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने के RBI के निर्णय को बेहद सख्त बताया। उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश के बाद भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और विभिन्न क्षेत्रों में क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग की उम्मीदे की जा सकती है।

मुख्य बिंदु:

सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला RBI द्वारा क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग को प्रतिबंधित करने हेतु 6 अप्रैल, 2018 को जारी परिपत्र (Circular) के विरुद्ध भारतीय इंटरनेट और मोबाइल संघ (Internet and Mobile Association of India-IAMAI) की याचिका की सुनाई के बाद आया है।
ध्यातव्य है कि अप्रैल 2018 के आदेश में RBI ने अपने द्वारा विनियमित सभी बैंकों और अन्य वित्तीय इकाइयों को तीन माह के अंदर क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार से स्वयं को अलग करने के निर्देश दिये थे।
सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल याचिका पर अपना पक्ष रखते हुए RBI के प्रतिनिधियों ने न्यायालय को सूचित किया कि RBI क्रिप्टोकरेंसी को मुद्रा (Currency) नहीं मानता है।

सर्वोच्च न्यायालय का आदेश:

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, वर्चुअल करेंसी के व्यापार पर RBI का प्रतिबंध तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि-
1. RBI वर्चुअल करेंसी के व्यापार के तरीके में किसी खतरे या गलती को रेखांकित नहीं कर सका है।
2. भारत में वर्चुअल करेंसी या क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकारी पक्ष के मतभेद को भी रेखांकित किया।
ध्यातव्य है कि क्रिप्टोकरेंसी के विनियम संबंधी कानून के निर्धारण के लिये बनी अंतर-मंत्रालयी समिति (Inter Ministerial Committees) ने वर्ष 2018 की अपनी रिपोर्ट में क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार की मंज़ूरी दी थी। परंतु वर्ष 2019 में इसी समिति ने निजी क्षेत्र द्वारा जारी क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध का सुझाव दिया था।

क्रिप्टोकरेंसी पर केंद्र सरकार की राय:

16 जुलाई, 2019 को संसद में क्रिप्टोकरेंसी के संदर्भ में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि देश में क्रिप्टोकरेंसी पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी संबंधी मामलों के लिये देश में कोई विशेष कानून नहीं है बल्कि ऐसे मामलों में RBI, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग के मौजूदा कानूनों के तहत कार्रवाई होगी।

क्रिप्टोकरेंसी संबंधी मामलों में पुलिस IPC की धाराओं के तहत कार्रवाई कर सकती है।

क्रिप्टोकरेंसी पर अंतर-मंत्रालयी समिति के सुझाव :

देश में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि को देखते हुए इसके विनियमन के लिये नवंबर 2017 में एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया।
समिति के सुझावों के आधार पर जुलाई 2019 में वित्त मंत्रालय द्वारा क्रिप्टोकरेंसी प्रतिबंध एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक (Draft Banning of Cryptocurrency & Regulation of Official Digital Currency Bill) 2019 का मसौदा प्रस्तुत किया गया।
इस मसौदे के अनुसार, देश में प्राइवेट सेक्टर (निजी क्षेत्र) द्वारा जारी सभी प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी का व्यापार प्रतिबंधित होगा।
मसौदे के अनुसार, देश में क्रिप्टोकरेंसी का व्यापार करने पर 10 वर्ष तक की सज़ा और जुर्माना/आर्थिक दंड हो सकता है।
आर्थिक दंड के रूप में अपराधी द्वारा अर्जित लाभ या वित्तीय गड़बड़ी से हुई क्षति का तीन गुना (25 करोड़ रुपए तक) जुर्माना लगाया जा सकता है।
हालाँकि समिति ने क्रिप्टोकरेंसी में शामिल तकनीकी के महत्त्व को रेखांकित करते हुए RBI को भविष्य में अपनी डिजिटल करेंसी जारी करने का सुझाव दिया था।

वर्तमान में विश्व भर में 1500 से अधिक क्रिप्टोकरेंसी प्रचलित हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक द्वारा घोषित लिब्रा के अतिरिक्त बिटकॉइन, एथरियम (Ethereum) आदि क्रिप्टोकरेंसी के कुछ उदाहरण हैं।

क्रिप्टोकरेंसी के आविष्कार का मुख्य उद्देश्य वित्तीय लेन-देन में बैंकों या अन्य बिचौलियों की भूमिका को समाप्त करना था।
सामान्य बैंकिंग प्रक्रिया में लेन-देन के विवरण बैंकों द्वारा सत्यापित किया जाता है जबकि क्रिप्टोकरेंसी में किये गए विनिमय को ब्लॉकचेन तकनीकी के माध्यम से कई देशों में फैले विकेन्द्रित डेटाबेस द्वारा सत्यापित किया जाता है।

क्या है ब्लॉकचेन तकनीक ?

ब्लॉकचेन एक प्रकार का विकेंद्रीकृत बही-खाता (Distributed Ledger) होता है, जिसमें विनिमय से संबंधित जानकारी को कूटबद्ध तरीके से एक ब्लॉक के रूप में सुरक्षित किया जाता है।
ब्लॉकचेन में दर्ज प्रत्येक आँकड़े (ब्लॉक) का अपना एक विशिष्ट इलेक्ट्राॅनिक हस्ताक्षर होता है, जिसे परिवर्तित नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही प्रत्येक ब्लॉक में पिछले ब्लॉक का इलेक्ट्राॅनिक हस्ताक्षर भी दर्ज होता है जिससे इन्हें आसानी से एक शृंखला में रखा जा सकता है।
ब्लॉकचेन में एक बार किसी भी लेन-देन के दर्ज होने पर इसे न तो वहाँ से हटाया जा सकता है और न ही इसमें संशोधन किया जा सकता है।
ब्लॉकचेन विनिमय की संपूर्ण जानकारी को एक स्थान पर सुरक्षित करने के बजाय हज़ारों (या लाखों) कंप्यूटरों में संरक्षित किया जाता है।
किसी भी नए लेन-देन को डेटाबेस से जुड़े सभी कंप्यूटरों (ब्लॉकचेन तकनीक में इन्हें नोड्स के नाम से जाना जाता है) द्वारा सत्यापित किया जाता है।

RBI द्वारा क्रिप्टोकरेंसी के विरोध का कारण:

मुद्रा के रूप में: क्रिप्टोकरेंसी को विश्व के किसी भी देश या केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रा के रूप में वैधानिकता नहीं प्राप्त है। क्रिप्टोकरेंसी की विश्वसनीयता और किसी वित्तीय निकाय के समर्थन के अभाव में इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
विनिमय वस्तु (Commodity) के रूप में: शेयर बाज़ार में किसी भी व्यवसाय इकाई के शेयर की कीमतों का निर्धारण उसके कारोबार, बाज़ार में उसकी मांग आदि के आधार पर किया जाता है, परंतु क्रिप्टोकरेंसी में पारदर्शिता के अभाव और इसकी कीमतों की अस्थिरता को देखते हुए कई विशेषज्ञों ने क्रिप्टोकरेंसी के विनिमय के संदर्भ में आशंकाएँ जाहिर की हैं।

क्रिप्टोकरेंसी के दुष्परिणाम:

क्रिप्टोकरेंसी को किसी देश अथवा केंद्रीय बैंक की मान्यता नहीं प्राप्त होती जिससे इसके मूल्य की अस्थिरता का भय बना रहता है। उदाहरण के लिये दिसंबर 2017 में बिटकॉइन की कीमत 19 हजार अमेरिकी डॉलर से अधिक थी, जबकि दिसंबर 2018 में इसकी कीमत घटकर 3200 अमेरिकी डॉलर रह गई। क्रिप्टोकरेंसी की गोपनीयता के कारण आतंकवादी या अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों में इसके प्रयोग का भय बना रहता है।
प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार की मौद्रिक नीतियों का प्रभाव नहीं पड़ता, ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग को बढ़ावा देना देश की अर्थव्यवस्था के लिये नुकसानदायक हो सकता है।
क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन के व्यवस्थित संचालन के लिये लाखों की संख्या में बड़े-बड़े कंप्यूटरों का उपयोग किया जाता है, जो ऊर्जा अपव्यय का एक बड़ा कारण है। उदाहरण के लिये जुलाई 2019 में जर्मनी की टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ़ म्यूनिख (Technical University of Munich- TUM) के शोधकर्त्ताओं ने बिटकॉइन प्रणाली के कार्बन पदचिह्न (Carbon Footprint) के बारे में चिंताजनक आंकड़े जारी किये थे।
वर्तमान में जब विश्व के कई देश बहु-राष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किये जा रहे कर अपवंचन (Tax Evasion) को रोकने के लिये प्रयासरत हैं तो ऐसे में विनियमन की किसी समायोजित नीति के अभाव में क्रिप्टोकरेंसी को अवैध मुद्रा के स्टेटस से बाहर रखना, कर अपवंचन रोकने के प्रयासों को और अधिक जटिल बना देगा।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य:

न्यायालय के आदेश के बाद देश में तकनीकी क्षेत्र की कंपनियों, संबंधित नियामकों और अन्य हितधारकों के बीच क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर विचार-विमर्श की पहल को बढ़ावा मिलेगा।
हालाँकि देश में क्रिप्टोकरेंसी की अनुमति देने और इसके विनियम हेतु नीति निर्माण में सरकार की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण होगी। ध्यातव्य है कि जुलाई 2019 में प्रस्तुत क्रिप्टोकरेंसी प्रतिबंध एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2019 के मसौदे में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की थी।
क्रिप्टोकरेंसी पर चर्चा करते हुए इसके दो पहलुओं-‘निजी क्षेत्र द्वारा जारी मुद्रा (Private Currency)’ तथा इसमें उपयोग की जाने वाली तकनीकी ‘ब्लॉकचेन’ और विकेंद्रीकृत बही-खता तकनीकी (Distributed Ledger Technology-DLT) जैसे पक्षों को अलग-अलग समझना बहुत ही आवश्यक है।
क्रिप्टोकरेंसी के अध्ययन के लिये गठित समिति ने जहाँ किसी प्राइवेट करेंसी का विरोध किया है, वहीं समिति ने RBI तथा सरकार को ‘ब्लॉकचेन’ व DLT के प्रति सकारात्मक रवैया रखने तथा भविष्य में विभिन्न क्षेत्रों में इसके प्रयोग की संभावना को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने की सिफारिश की है।
उदाहरण के लिये दक्षिण भारत के कुछ राज्यों (तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल आदि) में सरकार के विभिन्न विभागों में सुरक्षित रूप से आँकड़ों (Data) को एकत्र एवं संरक्षित रखने के लिये ‘ब्लॉकचेन’ पर कई प्रयोग किये जा रहे हैं तथा ‘ब्लॉकचेन’ में तकनीकी दक्षता को बढ़ावा देने के लिये केरल ब्लॉकचेन अकादमी (Kerala Blockchain Academy) की स्थापना जैसे प्रयास किये जा रहे हैं।

निष्कर्ष:

यद्यपि क्रिप्टोकरेंसी व्यापार, निवेश, तकनीकी और अन्य विभिन्न क्षेत्रों में तेज़ और कम खर्च वाली भविष्य की विनिमय प्रणाली की अवधारणा प्रस्तुत करती है। परंतु वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी के संदर्भ में अनेक समस्याओं (जैसे-गोपनीयता, मूल्य अस्थिरता और इसके विनियमन की किसी नीति का अभाव) को देखते हुए देश में किसी निजी मुद्रा (Private Currency) को अनुमति देना एक बड़ी चुनौती होगी। अतः भविष्य की ज़रूरतों और इस क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि क्रिप्टोकरेंसी के संदर्भ में सरकार, डिजिटल मुद्रा के विशेषज्ञों और सभी हितधारकों के बीच समन्वय, को बढ़ाया जाए जिससे इस क्षेत्र के बारे में जन-जागरूकता को बढ़ाया जा सके। साथ ही भविष्य की ज़रूरतों को देखते हुए क्रिप्टोकरेंसी के विनियमन के लिये एक मज़बूत एवं पारदर्शी तंत्र का विकास किया जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *