परमात्मा को पाना ऐसा ही है , जैसे बिजली का स्विच दबा कर बिजली का प्रकाश होना.

लेकिन हम सब ने परमात्मा को पाना बहुत जटिल बना दिया है ।
अगर हम कमरे में पंखा या बिजली चलाने के लिए , स्विच दबाने की बजाए , यह समझने में अपना दिमाग़ खपा दें कि घर में लगा इलैक्ट्रिक सिस्टम किस तरह काम करता है , सिस्टम में विद्युत कौन से ट्रांसफ़ॉर्मर से आती है , ट्रांसफ़ॉर्मर में विद्युत कहाँ से आती है , तो हम इसी में उलझ कर रह जाऐंगे ।

 

परमात्मा के बारे में भी हम यही कर रहे हैं । उलझ रहे हैं , गूढ़ ग्रन्थों में, भिन्न भिन्न पंथों में , बेसिरपैर की कहानियों में , अवतारों में , अंधविश्वासों में ।
याद रखें , परमात्मा को पाना बहुत सरल है । अपनी चैतनयता को , सर्व व्यापक चेतना से मिला देना है और हम भी परमात्मा की चैतनयता में समाहित हो जाते हैं , हमारे जीवन में अध्यात्म उतर आता है , सहज चमत्कार होने लगते हैं , इच्छा मात्र से काम होने लगते हैं , सब जटिलताएँ सहज हो जाती हैं ।

-CA राजीव जायसवाल

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