हे माधव गोविंद मुरारी
तुझ बिन कवन सहाय ।
तू मेरे ह्रदय का धड़क धड़कना
तू मेरी श्वास चलाय ।

तू मेरे अंतर अनहद बाजे
जीवन ज्योति जलाए
नव माहा माँ गरभ में राखे
अमृत पान कराए ।

तू मेरे रक्त में रक्त बन बहे
उदर की क्षुधा मिटाए
रात नींद में स्वप्न दिखाए
दिवस में जाग जगाए ।

तू मेरे पल पल की पत राखे
राखनहार कहाए
अंतरयामी घट घट वासे
मेरे मन भी वासे ।

राजीव जायसवाल C.A.

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