जानते हैं कुण्डलिनी जागरण एवं
अनाहत चक्र का रहस्य (ह्रदय ) के विषय में
प्रसिद्ध अध्यात्म उपदेशक

राजीव जायसवाल C.A

ठाकुर
तुम में
सब गुण , सब गुण ,
हम में केवल
अवगुण , अवगुण |

ठाकुर
हम पापी , हम कामी ,
क्षमा करो
घट घट के स्वामी |

ठाकुर
कण कण
तुम व्यापा ,
हमरे मन
भी बसो
कर दया |

ठाकुर
हम लोभी
हम भोगी ,
ठाकुर
तुम हकीम
हम रोगी |

—–राजीव जाय़सवाल  C.A.

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