जो भूमिका हनुमान की रही राजा राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने में तथा जो भूमिका भामाशाह की रही राणा प्रताप को महाराणा बनाने में, मेरा मानना है कि ठीक वही भूमिका निभाई गई थी चम्पारण के पण्डित राजकुमार शुक्ल द्वारा मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा बनाने में।


लेकिन विडम्बना देखिए कि इतनी बड़ी कालजई कीर्ति करने के बावजूद पण्डित राजकुमार शुक्ल की अपनी पार्टी कांग्रेस ने उनके साथ घोर अन्याय किया और उनकी स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए कुछ नहीं किया। हां गांधीजी के चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष (1917 – 2017) के शुभ अवसर पर मोदीजी की नेतृत्व वाली सरकार ने इस दिशा में चंद कदम अवश्य बढ़ाएं हैं।

हम मांग करते हैं कि पण्डित राजकुमार शुक्ल के व्यक्तित्व और कृतित्व को देखते हुए उन्हें ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया जाए।


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मेरे यूट्यूब वीडियो के माध्यम

सुशील जायसवाल, बेतिया

से प्रस्तुत है बिहार सरकार के पर्यटन मंत्री श्री नारायण प्रसाद के सानिध्य में भाजपा के जमीनी नेता श्री अचल नारायण शर्मा के उद्गार पण्डित राजकुमार शुक्ल के संदर्भ में।

 

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