आज का चिंतन


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जीवन में जब उम्मीद की कोई भी किरण शेष न रहे उस स्थिति में भी कोशिश, प्रार्थना और धैर्य इन तीन चीजों का परित्याग नहीं करना चाहिए।

कोशिश – ये तो आप सभी ने सुना ही होगा कि *लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती*
*कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती* जब आपको लगे कि उम्मीद के सारे दरवाजे बंद हो चुके हैं उस स्थिति में भी आपकी कोशिशें जारी रहनी चाहिए। जिस प्रकार से कभी-कभी गुच्छे की आखिरी चाबी भी ताला खोल देती है, उस प्रकार से अंतिम क्षणों में भी पूरी लगन के साथ किया गया आपका प्रयास बाजी पलट सकता है।

जीवन भी एक क्रिकेट मैच की तरह ही है। जिसमें कभी – कभी मैच की आखिरी गेंद पर भी हारा हुआ मैच जीत लिया जाता है।

प्रार्थना – जीवन में सदा परिणाम उस प्रकार नहीं आते जैसा कि हम सोचते और चाहते हैं। किसी भी कर्म का परिणाम मनुष्य के हाथों में नहीं है मगर प्रार्थना उसके स्वयं के हाथों में होती है। प्रार्थना व्यक्ति के आत्मबल को मजबूत करती है और प्रार्थना के बल पर ही व्यक्ति उन क्षणों में भी कर्म पथ पर डटा रहता है जब उसे ये लगने लगता है कि अब हार सुनिश्चित है। प्रार्थना में एक अदृश्य शक्ति समाहित होती है। आप प्रार्थना करना सीखिए! प्रार्थना आपको आशावान बनाकर तब भी पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना सीखाएगी जब आप घोर निराशा से घिरे हुए हों।

धैर्य – कितनी भी विकट परिस्थितियां आ जाएं पर मनुष्य को धैर्य का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए। आप दुखों की घनघोर कालरात्रि से घिरे हों तो धैर्य रखिए! सूर्य की स्वर्णिम किरणों को साथ लेकर एक नया सवेरा जरूर होगा। अगर पतझड़ रुपी प्रतिकूलताएं ही आपको चारों ओर से घेर रखी हों तो धैर्य रखिए! भंवरों की गुंजार और चिड़ियों की चहचहाहट को लेकर एक नया वसंत जरूर आने वाला है।

कोशिश करो! प्रार्थना करो और धैर्य रखो! जीवन के परिणाम ही बदल जायेंगे।

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